Wednesday, 9 May 2018

माया से पार .....

माया से पार .....
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यह जन्म लेने से पूर्व ही इस जन्म के लिए भगवान ने मुझे दो काम सौंपे थे, पर उन दोनों में ही अब तक तो fail यानि अनुतीर्ण ही रहा हूँ| अब कैसे भी हाथ-पैर मारकर pass यानि उतीर्ण होना है| अन्यथा सामने ८४ नंबर वाला घूम-चक्कर दिखाई दे रहा है जो वास्तव में बड़ा ही भयंकर है| दूसरा कोई विकल्प नहीं है|
पहला काम था... अहङ्कार का विनाश | दूसरा काम था... सांसारिक विषय वासना का विनाश |
ये दोनों काम ही एक-दूसरे के पूरक हैं| इनको पूरा कर के निज स्वरुप में स्थित होना ही है, अन्यथा भगवान को क्या मुँह दिखाएँगे?
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भगवान ने विवेक और बुद्धि आदि सब कुछ दिया पर सामने "विक्षेप" और "आवरण" नाम की दो हथियारबंद राक्षसियाँ भी बैठा दीं| इनके पीछे इनके खतरनाक सशस्त्र भाई लोग "राग-द्वेष" व "प्रमाद" आदि महा असुर भी बैठा दिए हैं| इन सब को चकमा देकर आगे जाना है तभी ये काम सिद्ध हो सकते हैं, अन्यथा नहीं|
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अब जाना तो है ही| जाना ही पड़ेगा| कोई किन्तु-परन्तु नहीं चलेगी| चलो, इसी क्षण से पूरा प्रयास करेंगे| हे गुरु महाराज रक्षा करना| त्राहिमाम् त्राहिमाम् ||
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ मई २०१८

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