Wednesday 9 May 2018

सावधानी हटी और दुर्घटना घटी .....

सावधानी हटी और दुर्घटना घटी .....
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प्रिय मित्रो, सदा याद रखो ------ "सावधानी हटी और दुर्घटना घटी" |

काम, क्रोध, मद, मोह और मत्सर्य ---- ये शत्रु आपको अपना उपकरण बनाने को निरंतर तैयार हैं| विश्वामित्र और जड़ भरत जैसे तपस्वी भी नहीं बच पाए तो आप कौन से खेत की मूली हैं ?
भगवान की माया बड़ी प्रचंड है| अतः सदैव सजग रहो|

प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कुछ ना कुछ ऐसी घटनाएँ अवश्य होती हैं जिनसे उसे जीवन भर लज्जित होना पड़ सकता है| हर मनुष्य कुछ ना कुछ भूल अवश्य करता है| अतः भूतकाल को भूलकर जब भी याद आये उसी क्षण से अपने आध्यात्मिक विकास की दिशा में अग्रसर हो जाना चाहिए|| भविष्य में होने वाला हर कार्य सर्वश्रेष्ठ होगा यदि हम इसी क्षण से अपने जीवन का केंद्र बिंदु परमात्मा को बना लें|

शुभ कामनाएँ और आप में हृदयस्थ प्रभु को प्रणाम | ॐ शिव ||
१० मई २०१४

1 comment:

  1. "बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिहाई| एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए||"

    एक पलक की चूक में कोई ऐसी गलती न कर जाएँ कि जीवन भर पछताना पड़े|
    हर समय सावधान रहें| सावधानी हटी, दुर्घटना घटी|

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