Monday 17 April 2017

(1) स्वयं शक्तिशाली बनो, अपनी कमी के लिए औरों को दोष मत दो. (2) भ्रमित करने वाले शब्दजाल में मत फँसो.

(1) स्वयं शक्तिशाली बनो, अपनी कमी के लिए औरों को दोष मत दो.
(2) भ्रमित करने वाले शब्दजाल में मत फँसो.
.
(1) आप कहीं वन में घूमने गए और सामने कोई हिंसक प्राणी आ जाए और आप को मारने के लिये आप पर आक्रमण करे तो उसके सामने घुटने टेक कर हाथ जोड़ कर रो रो कर प्रार्थना करने से कि महाराज मैंने तो कभी चींटी भी नहीं मारी, मैं तो अहिंसा का पुजारी हूँ और किसी का अहित नहीं करता हूँ, मुझे मत मारो तो क्या वह हिंसक प्राणी आपको छोड़ देगा?
यदि आप सक्षम हैं तो सिंह की भी हिम्मत नहीं होगी आप पर आक्रमण करने की|
.
वैसे ही दुर्जन लोग तो आप को दू:खी करेंगे ही क्योंकि यह उनका स्वभाव है| उनको दोष देने की अपेक्षा आप स्वयं सक्षम बनिये| आप सक्षम और शक्तिशाली होंगें तो किसी का साहस नहीं होगा आपका अहित करने का| किसी के साथ अन्याय मत करो और निरंतर परोपकार करो| आत्म प्रशंसा से कुछ नहीं होने वाला|
.
हमें अपना अस्तित्व बनाए रखना है तो अपने स्वयं के समाज की कमियों को दूर करना होगा| शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र भी उठाना होगा| स्वयं को सक्षम बनाना होगा| बालिकाओं को आत्म रक्षा करना सिखाएँ| किशोर अखाड़ों में जाकर व्यायाम करें और शस्त्र चलाना सीखें| उनको दबाने की या छेड़ने की किसी की हिम्मत नहीं होगी|
अपनी कमी के लिए औरों को दोष मत दो|
.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
(2) कुछ भ्रमित करने वाले उपदेशों से बचो जिन्होनें समाज में भ्रम फैलाया है|
हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए ये झूठ सिखाए गए हैं .....
सर्व धर्म समभाव,
सब मार्ग एक ही लक्ष्य पर पहुंचाते हैं,
सब धर्मों में एक ही बात है, आदि आदि|
..... उपरोक्त तीनों बातें हिन्दुओं को मूर्ख बनाए के लिए रची गईं हैं| ये किसी मार्क्सवादी सेकुलर के दिमाग की उपज हैं|
.
सिर्फ संकल्प से समभाव नहीं आ सकता| यह तो योग साधना की एक बहुत ऊँची उपलब्धि है| इसी पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ----- समत्वं योग उच्यते|
"सर्वधर्म समभाव" ..... पूरे संस्कृत या आध्यात्मिक साहित्य में कहीं भी यह वाक्य नहीं है| धर्म तो एक ही होता है| मत-मतान्तर, पंथ, और मजहब ....इनको धर्म नहीं कह सकते|
यह आवश्यक नहीं है कि सभी मार्ग एक ही गंतव्य पर पहुँचते हैं| हो सकता है कोई मार्ग आपको भूल भुलैयों में ही घुमाता रहे और कहीं पहुंचे ही ना|
किन्हीं भी दो मज़हबों में एक बात नहीं है| बिना उनका अध्ययन हम कह देते हैं कि उनमें एक ही बात है|
.
सभी को नमन| ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय ||
कृपा शंकर
१८ अप्रेल २०१३

No comments:

Post a Comment