भारत का संविधान क्या मौलिक है ?
.
भारत के राजनेता कहते हैं कि भारत का संविधान बाबा साहेब अंबेडकर ने लिखा है| पर उन्होंने लिखा क्या है? यह समझना अति कठिन है| सारा संविधान तो ब्रिटिश संसद द्वारा पारित गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट-1935 और 1947 का ही संपादित रूप है, और दो चार बातें इधर उधर से जोड़ दी गयी हैं| बाबा साहेब अम्बेडकर तो उस एक समिति के अध्यक्ष थे जिसने संविधान का वर्तमान रूप बनाया| वे इस संविधान से सहमत भी नहीं थे इसलिए उन्होंने नेहरु मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया और अगले चुनावों में स्वयं नेहरु ने उनके विरुद्ध प्रचार किया| भारत की राजनीती में झूठ बहुत अधिक है|
.
सन १९७० के दशक तक में छपे हुए संविधान के संस्करणों में धारा-147 छपी हुई है| इसकी भाषा इतनी अधिक कुटिल और जटिल है कि बहुत अच्छे पढ़े-लिखे लोग भी इसे ठीक से नहीं समझ सकते| इसका सार मुझे तो यही समझ में आया कि ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा पारित गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 व 1947 सर्वोपरी हैं और भारत की सरकार उन्हें मानने के लिए बाध्य है| इसका अर्थ यह है कि अंग्रेजों ने हमें सता हस्तांतरित की है, स्वतंत्र नहीं किया है| पता नहीं अब तक क्यों इस धारा को निरस्त नहीं किया गया| लगता है किसी ने इसकी जटिल भाषा देखकर इसे समझने का प्रयास ही नहीं किया है| यह धारा यह सिद्ध करती है कि भारत का संविधान ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा पारित गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 व 1947 की संशोधित प्रति मात्र है|
.
भारत कॉमनवेल्थ में क्यों है ? ब्रिटेन तो अब इतना गरीब हो गया है कि अँगरेज़ महिलाएँ जापान जाकर घरेलु नौकरानियों का कार्य कर रही हैं| कॉमनवेल्थ में रहने का अर्थ है कि ब्रिटेन की महारानी हमारी राज्य प्रमुख है| हम क्यों इस कॉमनवेल्थ नाम का गुलामी का धब्बा ढो रहे हैं?
.
भारत के राजनेता कहते हैं कि भारत का संविधान बाबा साहेब अंबेडकर ने लिखा है| पर उन्होंने लिखा क्या है? यह समझना अति कठिन है| सारा संविधान तो ब्रिटिश संसद द्वारा पारित गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट-1935 और 1947 का ही संपादित रूप है, और दो चार बातें इधर उधर से जोड़ दी गयी हैं| बाबा साहेब अम्बेडकर तो उस एक समिति के अध्यक्ष थे जिसने संविधान का वर्तमान रूप बनाया| वे इस संविधान से सहमत भी नहीं थे इसलिए उन्होंने नेहरु मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया और अगले चुनावों में स्वयं नेहरु ने उनके विरुद्ध प्रचार किया| भारत की राजनीती में झूठ बहुत अधिक है|
.
सन १९७० के दशक तक में छपे हुए संविधान के संस्करणों में धारा-147 छपी हुई है| इसकी भाषा इतनी अधिक कुटिल और जटिल है कि बहुत अच्छे पढ़े-लिखे लोग भी इसे ठीक से नहीं समझ सकते| इसका सार मुझे तो यही समझ में आया कि ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा पारित गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 व 1947 सर्वोपरी हैं और भारत की सरकार उन्हें मानने के लिए बाध्य है| इसका अर्थ यह है कि अंग्रेजों ने हमें सता हस्तांतरित की है, स्वतंत्र नहीं किया है| पता नहीं अब तक क्यों इस धारा को निरस्त नहीं किया गया| लगता है किसी ने इसकी जटिल भाषा देखकर इसे समझने का प्रयास ही नहीं किया है| यह धारा यह सिद्ध करती है कि भारत का संविधान ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा पारित गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 व 1947 की संशोधित प्रति मात्र है|
.
भारत कॉमनवेल्थ में क्यों है ? ब्रिटेन तो अब इतना गरीब हो गया है कि अँगरेज़ महिलाएँ जापान जाकर घरेलु नौकरानियों का कार्य कर रही हैं| कॉमनवेल्थ में रहने का अर्थ है कि ब्रिटेन की महारानी हमारी राज्य प्रमुख है| हम क्यों इस कॉमनवेल्थ नाम का गुलामी का धब्बा ढो रहे हैं?
No comments:
Post a Comment