Monday, 17 April 2017

माननीय नरेन्द्र मोदी की वेंकूवर (ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा) में एक बहुत बड़ी उपलब्धी..

अप्रैल १७, २०१५.
 
 माननीय नरेन्द्र मोदी की वेंकूवर (ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा) में एक बहुत बड़ी उपलब्धी..
---------------
भारत में बहुत कम लोगों को पता है कि जब पृथक खालिस्तान आन्दोलन चला था तब उसके लिए सबसे अधिक आर्थिक सहयोग वेंकूवर (ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा) से आता था|
मैं पहली बार प्रशांत महासागर के तट पर स्थित वेंकूवर नगर में सन १९८० में गया था, फिर सन १९८५ में दो बार और सन १९९०-९१ में चार बार गया| कुल सात बार वहाँ जा चुका हूँ| वहाँ अनेक मित्र थे| १९९० में मैंने अपना नया पासपोर्ट भी वेकुवर के भारतीय कोंसुलेट से बनवाया था| वहाँ नगर में खालिस्तान समर्थक समाचार पत्र खुले आम मिलते थे| पंजाब और गुजरात से गए प्रवासी वहाँ खूब हैं| सबसे अधिक पंजाबी प्रवासी हैं| वहाँ के एक गुरूद्वारे में तो बीचोंबीच एक दीवार खड़ी कर दी गयी थी क्योंकि उस गुरूद्वारे के आधे सदस्य खालिस्तान के पक्ष में थे और आधे खालिस्तान के विरोध में| वहाँ की इंडिया स्ट्रीट के पंजाबी मार्केट में तो लगता ही नहीं है कि आप कनाडा में हैं| वह बाज़ार पंजाब के किसी बाज़ार जैसा ही लगता है|
.
वहाँ के कुछ खालिस्तानी, नरेन्द्र मोदी को एक ज्ञापन देना चाहते थे कि हम हिन्दू नहीं हैं| पर मोदी जी का साहस देखिये कि वे कनाडा के प्रधान मंत्री को साथ लेकर उस गुरूद्वारे में गए, वहाँ दोनों नेताओं ने मत्था टेका और भूमि पर बैठकर सत्संग भजन कीर्तन सुना और उसके पश्चात तालियों की गडगडाहट के मध्य उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का उद्धरण देते हुए हिंदुत्व पर एक भाषण भी दे दिया| कहीं कोई विरोध नहीं हुआ| इसके लिए साहस चाहिए| फिर वे वहाँ के प्रसिद्द लक्ष्मीनारायण मंदिर भी गए और कनाडा के प्रधान मंत्री के साथ पूजा अर्चना की|
.
ब्रिटिश कोलम्बिया में ही एक दो अन्य नगरों में भी गया हूँ| इससे पहिले सन १९८२ में अटलांटिक महासागर तट पर सेंट लॉरेंस नदी के मुहाने पर मोंट्रीयाल नगर भी गया था और वहाँ से कनाडा का नियाग्रा जलप्रपात भी दो बार देख कर आया| वहीं से अमेरिका में शिकागो, डेट्रॉइट, मिल्वाउकी और ड्यूलूथ भी गया था|
कनाडा में मेरे से मिलने अनेक ईसाई पादरी आते थे और मुझे प्रभावित कर अपने मत में सम्मिलित करना चाहते थे| मेरी उनसे बड़ी बहस होती थी और मैं उनको निरुत्तर कर दिया करता था| फिर भी कभी किसी पादरी को मैंने क्रोध करते या निराश होते नहीं देखा| उनको धैर्य रखने का बहुत अच्छा प्रशिक्षण मिला हुआ था| एक बार कनाडा के ही एक नगर की ही बात है| बहुत ठण्ड थी और बरसात हो रही थी| मैंने मेरे से मिलने आये एक पादरी से अनुरोध किया कि वे मुझे किसी हिन्दू मंदिर में ले चलें क्योंकि किसी मंदिर में जाने की इच्छा थी| वह पादरी मुझे उस खराब मौसम में भी दो घंटे अपनी कार चलाकर एक दूसरे शहर के एक बड़े हिन्दू मंदिर में ले गया, और हमने दर्शन करने के बाद वहाँ के रेस्टोरेंट में शाकाहारी खाना भी खाया| फिर वह बापस मुझे छोड़ कर भी गया| उसने अपना धैर्य नहीं खोया|
 .
वेंकूवर के स्टेनली पार्क में कई बूढ़े बूढ़े पंजाबी वृद्ध दम्पतियाँ मिलते थे जो अपनी ही व्यथा सुनाते थे|
कुल मिलाकर वहाँ के भारतीय प्रवासियों के कारण कनाडा एक अच्छा देश है जो अब भारत के साथ व्यापार में सहयोगिता बढ़ा रहा है|

भारत माता की जय| वन्दे मातरं | ॐ ॐ ॐ ||

No comments:

Post a Comment