Monday, 17 April 2017

उत्तरी कोरिया की कुछ यादें .....

उत्तरी कोरिया की कुछ यादें .....
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मेरा दक्षिण कोरिया तो तीन चार बार जाने का काम पडा है पर उत्तरी कोरिया में सन १९८० में यानि आज से लगभग ३७ वर्ष पूर्व एक बार दो-तीन सप्ताह के लिए जाने का काम पडा था| बहुत अधिक प्रतिबन्ध होने के कारण किसी भी विदेशी को वहाँ स्वतंत्र रूप से घूमने फिरने की अनुमति नहीं मिलती है|
उस समय वहाँ पुलिस आदि प्रायः सभी विभागों का काम सेना ही करती थी| सेना के प्रायः सभी अधिकारियों को रूसी भाषा का ज्ञान था| संभवतः उनका प्रशिक्षण रूस में या रूसी अधिकारियों द्वारा हुआ होगा|
मेरा भी रूसी भाषा पर उस समय तक बहुत अच्छा अधिकार था, अतः वहाँ के अधिकारियों से बातचीत में और उन्हें समझने में कोई कठिनाई नहीं हुई|
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वहां के अधिकारियों का जीवन अभावग्रस्त ही लगा अतः सामान्य लोगों का तो बहुत ही बुरा हाल होता होगा| वहाँ के सामान्य लोग गरीबी का ही जीवन जीते होंगे जिसका आभास उन्हें स्वयं को नहीं है| लोगों को किस प्रकार अज्ञान रूपी अन्धकार में असत्य धारणाओं के मध्य रखा जाता है, यह वहाँ स्पष्ट था| मजदूर लोग जब काम करते थे तब एक महिला ध्वनी वितारक यंत्र से उन्हें खूब कड़ी मेहनत करने का भाषण देती रहती थी|
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वहाँ के पूर्व दिवंगत शासक किम इल सुंग का दर्जा तो भगवान से कम नहीं है| उन्होंने "जूचे" नामक एक नई संस्कृति और विचारधारा को जन्म दिया था|
उत्तर कोरिया जूचे कैलेंडर पर चलता है, यह किम इल सुंग की जन्मतिथि पर आधारित है| वहाँ 8 जुलाई और 17 दिसंबर को पैदा होने वालों को इन तारीखों में अपना जन्मदिन मनाने की अनुमति नहीं है| कारण यह कि ये दो तारीखें उनके पूर्व शासकों किम इल सुंग और किम जोंग इल की पुण्यतिथियां हैं|
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अमेरिका और जापान को वहाँ शत्रु राष्ट्र के रूप में सिखाया जाता है| वहाँ का हर नागरिक अमेरिका और जापान को अपना शत्रु मानता है| पूरा देश एक सैनिक किले की तरह ही है|
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वहाँ के इतिहास और भूगोल के बारे में विस्तार भय से यहाँ चर्चा नहीं कर रहा हूँ| संक्षेप में इतना ही कहूंगा कि रूस का अधिकार मंचूरिया पर तो था ही और वह पूरे कोरिया पर नियंत्रण करना चाहता था, इसी कारण सन १९०५ में जापान और रूस में एक भयानक युद्ध हुआ था जिसमें रूस की पराजय विश्व के इतिहास की धारा को बदलने वाली एक अति महत्वपूर्ण घटना थी| भारत पर भी इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था| वहाँ कई रूसी लोगों से भी मिलना हुआ था|
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कुल मिलाकर वह देश एक नर्कतुल्य ही है जहाँ किसी धर्म को मानने की सजा तो मृत्युदंड है ही, और वहाँ के तानाशाह के मनमर्जी के अनुसार न चलने की सजा भी मृत्युदंड ही है|
इति||

1 comment:

  1. उपरोक्त लेख में कुछ बातें लिखनी भूल गया था| उत्तर कोरिया में भाँग-गांजे को ड्रग्स नहीं मानते अतः वहाँ के लोग इनका सेवन खूब करते हैं|
    जापान ने कोरिया पर अत्यधिक अत्याचार किये थे| वहाँ की महिलाओं को यौनदासियाँ (Sex Slaves) बनाया था और लाखों लोगों की हत्याएँ की थीं| अमेरिका ने भी अत्याचार और युद्ध अपराध किये थे| अतः उनके प्रति घृणा स्वाभाविक है| किम इल सुंग भी कम अत्याचारी नहीं था|

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