Thursday, 26 January 2017

परमात्मा की मात्र चर्चा निरर्थक है .....

परमात्मा की मात्र चर्चा निरर्थक है .....
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हम लोग दिन-रात परमात्मा के बारे में तरह तरह के सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं| वह निरर्थक है| परमात्मा तो हमारे समक्ष ही है| उसी को खाओ, उसी को पीओ, उसी में डूब जाओ, उसी का आनंद लो, और उसी में स्वयं को लीन कर दो|
हमारे समक्ष कोई मिठाई रखी हो या कोई फल रखा हो, तो बुद्धिमानी उसको खाने में है, न कि उसकी विवेचना करने में| उसी तरह परमात्मा का भक्षण करो, उसका पान करो, उससे साँस लो और उसी में रहो|
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कौन क्या सोचता है यह उसकी समस्या है| परमात्मा का जो भी प्रियतम रूप है उसी के साथ तादात्म्य स्थापित कर लो| अपना लक्ष्य परमात्मा है कोई सिद्धांत नहीं| एक साधे सब सधै, सब साधे सब खोय| वाद-विवाद में समय नष्ट न करो| कुसंग का सर्वदा त्याग करो और जो भी समय मिलता है उसमें प्रभु की उपासना करो|
ॐ ॐ ॐ ||

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