"हो जाये अगर शाहे-खुरासां का इशारा , सिजदा न करूँ हिन्द की नापाक जमीं पर "
यानी ..... "अगर तुर्की का खलीफा इशारा भी कर दे तो भारत की नापाक जमीन पर नमाज भी नहीं पढूंगा|"
29 दिसंबर 1930 को इलाहबाद में जब "अल्लामा इकबाल" की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग का 25 वां सम्मलेन हुआ तब इकबाल ने यह कहा था|
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चूँकि नापाक का अर्थ अपवित्र होता है, और उसका विलोम शब्द "पाक" यानि पवित्र होता है| यही शब्द पाकिस्तान की नींव यानि बुनियाद बनी|
पाकिस्तान एक विचार था जो अल्लामा इकबाल के दिमाग की उपज थी| जिन्ना तो एक उपकरण मात्र था| वह तो ब्रिटेन में जाकर बस गया था और बापस भारत आने की उसकी इच्छा भी नहीं थी| मुस्लिम लीग वाले बड़ी मुश्किल से बड़ी मान-मनुहार करके उसे बापस भारत लाये थे|
पाकिस्तान की माँग करने के बाद भी वह अपनी माँग छोड़ने को तैयार था बशर्ते उसे स्वतंत्र भारत का प्रथम प्रधान मंत्री बनाया जाए| नेहरु इसके लिए तैयार नहीं था अतः भारत के विभाजन की त्रासदी हमें झेलनी पडी|
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”सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा” का लेखक मोहम्मद इकबाल (अल्लामा इकबाल) वास्तव में पाकिस्तान का जनक था| वह सियालकोट का रहने वाला और जन्म से एक कश्मीरी ब्राह्मण था जो बाद में मुसलमान बन गया| इसी इकबाल ने अपने इसी गीत में एक जगह लिखा है ….. ”मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”|
परन्तु इसी इकबाल ने अपनी एक किताब ”कुल्लियाते इकबाल” में अपने बारे में लिखा है .... ”मिरा बिनिगर कि दरहिन्दोस्तां दीगर नमी बीनी ,बिरहमनजादए रम्ज आशनाए रूम औ तबरेज अस्त”| अर्थात ..... मुझे देखो, मेरे जैसा हिंदुस्तान में दूसरा कोई नहीं होगा, क्योंकि मैं एक ब्राह्मण की औलाद हूँ लेकिन मौलाना रूम और मौलाना तबरेज से प्रभावित होकर मुसलमान बन गया|
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कालांतर में यही इकबाल मुस्लिम लीग का अध्यक्ष बना| आश्चर्य की बात यह है कि जिस इकबाल ने “सारे जहाँ से अच्छा हिदोस्तान हमारा” और ”मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना” जैसी पंक्तियाँ लिखीं थीं उसी इकबाल ने मुस्लिम लीग के खिलाफत मूवमेंट के समय 1930 के इलाहाबाद मुस्लिम लीग के सम्मलेन में कहा …..
“हो जाये अगर शाहे खुरासां का इशारा ,सिजदा न करूं हिन्द की नापाक जमीं पर“
यानि यदि तुर्की का खलीफा (जिसको अँगरेजों ने 1920 में गद्दी से उतार दिया था) इशारा भी कर दे तो मैं इस “नापाक हिंदुस्तान” की जमीन पर नमाज भी नहीं पढूंगा|
उसके इस गीत की एक पंक्ति जो हमें पढ़ाई जाती है, वह है ..... "हिंदी है हम वतन के हिन्दोस्ताँ हमारा"| यह किसी अन्य द्वारा बदला हुआ रूप है| वास्तव में यह इस प्रकार है .... "मुस्लिम हैं हम वतन के हिन्दोस्ताँ हमारा"|
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जब कांग्रेस शासन में अर्जुन सिंह मानव संसाधन मंत्री थे तब मोहम्मद इकबाल की जन्म शताब्दी मनाने के लिए भारत सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये थे|
अभी कुछ दिनों पूर्व एक संस्था ने माँग की है कि मोहम्मद इकबाल को भारत रत्न का सम्मान दिया जाए और उसके नाम पर एक उर्दू विश्वविद्यालय खोला जाए|
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यह संसार बड़ा विचित्र है| यहाँ कुछ भी हो सकता है| आश्चर्य की बात यह कि जिस इकबाल का जन्म एक हिन्दू ब्राह्मण के घर हुआ था, जो खूब पढ़ा लिखा होकर लाहौर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर भी था, वही इकबाल एक परम हिन्दू द्रोही और पाकिस्तान का जनक बना|
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हे प्रभु निरंतर हमारी रक्षा करो और किसी भी तरह का बुरा विचार हमारे मन में उत्पन्न न हो|
ॐ तत्सत् | ॐ शांति | ॐ ॐ ॐ ||
यानी ..... "अगर तुर्की का खलीफा इशारा भी कर दे तो भारत की नापाक जमीन पर नमाज भी नहीं पढूंगा|"
29 दिसंबर 1930 को इलाहबाद में जब "अल्लामा इकबाल" की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग का 25 वां सम्मलेन हुआ तब इकबाल ने यह कहा था|
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चूँकि नापाक का अर्थ अपवित्र होता है, और उसका विलोम शब्द "पाक" यानि पवित्र होता है| यही शब्द पाकिस्तान की नींव यानि बुनियाद बनी|
पाकिस्तान एक विचार था जो अल्लामा इकबाल के दिमाग की उपज थी| जिन्ना तो एक उपकरण मात्र था| वह तो ब्रिटेन में जाकर बस गया था और बापस भारत आने की उसकी इच्छा भी नहीं थी| मुस्लिम लीग वाले बड़ी मुश्किल से बड़ी मान-मनुहार करके उसे बापस भारत लाये थे|
पाकिस्तान की माँग करने के बाद भी वह अपनी माँग छोड़ने को तैयार था बशर्ते उसे स्वतंत्र भारत का प्रथम प्रधान मंत्री बनाया जाए| नेहरु इसके लिए तैयार नहीं था अतः भारत के विभाजन की त्रासदी हमें झेलनी पडी|
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”सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा” का लेखक मोहम्मद इकबाल (अल्लामा इकबाल) वास्तव में पाकिस्तान का जनक था| वह सियालकोट का रहने वाला और जन्म से एक कश्मीरी ब्राह्मण था जो बाद में मुसलमान बन गया| इसी इकबाल ने अपने इसी गीत में एक जगह लिखा है ….. ”मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”|
परन्तु इसी इकबाल ने अपनी एक किताब ”कुल्लियाते इकबाल” में अपने बारे में लिखा है .... ”मिरा बिनिगर कि दरहिन्दोस्तां दीगर नमी बीनी ,बिरहमनजादए रम्ज आशनाए रूम औ तबरेज अस्त”| अर्थात ..... मुझे देखो, मेरे जैसा हिंदुस्तान में दूसरा कोई नहीं होगा, क्योंकि मैं एक ब्राह्मण की औलाद हूँ लेकिन मौलाना रूम और मौलाना तबरेज से प्रभावित होकर मुसलमान बन गया|
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कालांतर में यही इकबाल मुस्लिम लीग का अध्यक्ष बना| आश्चर्य की बात यह है कि जिस इकबाल ने “सारे जहाँ से अच्छा हिदोस्तान हमारा” और ”मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना” जैसी पंक्तियाँ लिखीं थीं उसी इकबाल ने मुस्लिम लीग के खिलाफत मूवमेंट के समय 1930 के इलाहाबाद मुस्लिम लीग के सम्मलेन में कहा …..
“हो जाये अगर शाहे खुरासां का इशारा ,सिजदा न करूं हिन्द की नापाक जमीं पर“
यानि यदि तुर्की का खलीफा (जिसको अँगरेजों ने 1920 में गद्दी से उतार दिया था) इशारा भी कर दे तो मैं इस “नापाक हिंदुस्तान” की जमीन पर नमाज भी नहीं पढूंगा|
उसके इस गीत की एक पंक्ति जो हमें पढ़ाई जाती है, वह है ..... "हिंदी है हम वतन के हिन्दोस्ताँ हमारा"| यह किसी अन्य द्वारा बदला हुआ रूप है| वास्तव में यह इस प्रकार है .... "मुस्लिम हैं हम वतन के हिन्दोस्ताँ हमारा"|
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जब कांग्रेस शासन में अर्जुन सिंह मानव संसाधन मंत्री थे तब मोहम्मद इकबाल की जन्म शताब्दी मनाने के लिए भारत सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये थे|
अभी कुछ दिनों पूर्व एक संस्था ने माँग की है कि मोहम्मद इकबाल को भारत रत्न का सम्मान दिया जाए और उसके नाम पर एक उर्दू विश्वविद्यालय खोला जाए|
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यह संसार बड़ा विचित्र है| यहाँ कुछ भी हो सकता है| आश्चर्य की बात यह कि जिस इकबाल का जन्म एक हिन्दू ब्राह्मण के घर हुआ था, जो खूब पढ़ा लिखा होकर लाहौर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर भी था, वही इकबाल एक परम हिन्दू द्रोही और पाकिस्तान का जनक बना|
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हे प्रभु निरंतर हमारी रक्षा करो और किसी भी तरह का बुरा विचार हमारे मन में उत्पन्न न हो|
ॐ तत्सत् | ॐ शांति | ॐ ॐ ॐ ||
इस बात की प्रामाणिकता क्या है, स्रोत क्या है?
ReplyDeleteSABSE PEHLE TO AAP APNI BHASHA KO SAHI KARO THA KYA HOTA HAI? ITNE BADE SHAYAR, PHILOSOPHER KO IZZAT SE NAAM LENA CHAHIYE, ALLAMA IQBAL THE, AUR JIS PANKTI KO TUMNE AADHAR BANAY HAI 'HO JAYE AGAR SHAH E KHURASAN KA ISHARA, SAJDA NA KARUN HIND KI NAPAK ZAMIN PAR' USKA ALAG MATLAB HAI 1930 ME CHUNKI ANGREZ RAAJ KR RHE THE , AUR UNHINE IRAN KE RAJA KO UNKE THAKHT SE GIRAYA THA, ISILIE ANGREZON KE HATH ME PADI HINDUSTAN KI ZAMIN GANDI HO GAYI HAI, AUR AGAR WO IRAN KA BADHSHAH ISHARA KARE KI ISS ZAMIN PE JISNE MUJHE TAKHT SE GIRAYA HAI USI ANGREZON KE HAATH ME PAD KAR GANDI HO GYI HAI ISILIYE WO AGAR BOLDE TO IQBAL ISS ZAMIN PAR SAJDA NAHI KREGA! AB BAAT SMJH ME AAGYI HO TO THEEK HAI WARNA PDE RHO BE ILMI ME AUR EK INSAAN JISNE ZINDAGI BHAR APNE MULK KI KHIDMAT KI HAMD O SANA KARTA RAHA, SHAAN BANA HINDUSTAN KA, AGAR USSKI EK PANKTI KA SAHARA LE KAR TUM USE KUCH AUR DARSHANE KI KOSHISH KR RHE HO TO TUMHARA BHAGWAN TUMHE AQAL DE SAMAJHNE KI
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Deleteमुल्क की खिदमत इस तरह से की कि उसी सरजमी के टुकड़े करने की पेशकश कर डाली पाकिस्तान जैसे फिरकापरस्त मुल्क का निर्माण कर डाला । बहुत ही बेगैरत इंसान था । ऊपर तो जितनी इज्जत मिली उसके काबिल भी नही
DeleteShayar hoga tere liye for us he is a traitor, gaddar sala
DeleteAllha in muslmano se jayada gaddar koi aur nahi milta.
DeleteApne sahi trh se difine hi nhi kya bat ko..Ksi ko kse smjh me aygi..shah e khurasan se murad iran ka badshah h ya khilafat usmaniya
DeleteTu bhosdi ke yahan kya kar rha hai madar jat gaand mra ja ke allama landama iqbal ke sath bhnchod
DeleteAgree
DeleteJo hindu hokar hindu ka n hua desh ko tukdon me bantane ka karan hua lakhon hinduon ke qatlwaam ki vajah bana use to sirf gali dena chahiye izzat nahi
DeleteApke jaise besharam logon ki wajah se poori qaum ko gaali padti hai.
DeleteChin o Arab hamaraa hindostaaN hamaara
ReplyDeleteMuslim hain hum; watan hai saara jahaaN hamaara
This is a clarion call for Continuing the iconoclastic barbarity of Mohammad , your prophet & agent of satan.
Iqbal was a treacherous man to my watan
Sir ,
ReplyDeleteWill u please tell me why u removed my comment
Rama Krishna 25 January 2019 at 03:21
√
Ii
ReplyDeleteIqbal sufi :Maha murkh 1930 bol rahe ho """esliye angrejo ke hath me pari hindustan ki zameen """Jab tera Allah paida bhi nahi hua tha tum sab musalmano ko bharat Maa veero tum logo ka palan poshan kiya Aur bharat Maa ne sharan diya ""pure musalmaan desho ko bachane ke 1920 ko Padh lo
ReplyDelete"" IQBAL SUFI PAHLE TO BADHIYA LIKHNA SIKHO AAGE LIKHE HO YAA PICHE LIKHE HO HAKIKAT ME YE LOG KA SARA ULTA HOTA HAI ""PATA NAHI KAHA SE KHATA PITA HAI """"
Aur tera himmat kaise hua ""hind napak sar zamee par ""Dhayan se suno bakt sudhar jaao pure Allah Tala tak khatam ho jaoge """
ReplyDeleteMurkho kabhi es baat par Dhayan DENA MURKHO
"""BHARAT MAA KIS JAGAH KHARI HAI""
इकबाल कितना मक्कार था उसका लिखा मिल्ली तराना पढ़ कर समझ आता है भारत और हिंदुओं से कितनी नफरत थी इसलिए ही उसने पाकिस्तान बनाया।
ReplyDeleteJehadi jehadi hi Hoga, uske andr islam quran ka software hai ji
ReplyDeleteChalo Iqbal ko Bharat Ratn Dene ko cancel Karo, lekin Angrezo ke talwe chaatne waale Maafiveer Kayarkar ko Bharat Ratn dedein tab to khush ho jaoge lekhak ji
ReplyDeleteगोबर खा ले थोड़ा
ReplyDeleteऔर मूत्र भी लेना नपुंसक के औलाद
मैं जब पढ़ रहा था तभी लगा ह् कि ए साला 2014 के बाद का पोस्ट होगा
ReplyDeleteऔर सही निकला
बे**द झूठ कितना बोला है
आतंकबादी है ए ज़हर घोल रहा है
आरएसएस का कुत्ता है