Monday 5 December 2016

जो अनंत को चुनता है, वह अनंत द्वारा चुन लिया गया है .....

"जो अनंत को चुनता है, वह अनंत द्वारा चुन लिया गया है|"

5 दिसंबर 1950 को श्रीअरविन्द ने देह त्याग किया| वे एक महान योगी और युगदृष्टा ऋषि ही नहीं बल्कि एक अवतार थे| उन्होंने अपनी समस्त साधना भारतवर्ष और सनातन धर्म के लिए ही की थी| वास्तव में उन्होंने अपना सारा जीवन ही भारतवर्ष और सनातन धर्म के लिए ही जीया|

उन्होंने और श्रीमाँ ने मनुष्य जाति के भावी क्रमिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया जो शीघ्र ही फलीभूत होगा| उनका अंग्रेजी में लिखा महाकाव्य "सावित्री" वर्तमान युग की महानतम आध्यात्मिक रचना है|
उन्होंने अतिमानसी चेतना के अवतरण की जो बात कही है उस अवतरण की प्रतीक्षा मुझे भी है| उनके अनुसार जब अतिमानसी चेतना अवतरित होगी तब समस्त विश्व का रूपांतरण होगा| कोई समय सीमा उन्होंने नहीं बताई है, पर निश्चित रूप से वे इस चेतना के अवतरण की व्यवस्था कर गए हैं|
 

भारत के अखंड होने और और सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा की भी भविष्यवाणी वे कर गए हैं| अतः ऐसा निश्चित रूप से होगा ही|
 

जय जननी जय भारत !

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