आज देश में जैसी व्यवस्था है उसमें बच्चों को अच्छे संस्कार कैसे दें?
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यह प्रश्न मुझसे समाज के अनेक प्रबुद्ध लोग पूछते हैं कि आज की धर्मनिरपेक्ष (अधर्मसापेक्ष), सनातन हिन्दू धर्म विरोधी शिक्षा व्यवस्था में, दूरदर्शन के धारावाहिकों के प्रभाव से, और संयुक्त परिवारों के टूटने से युवा वर्ग में चारित्रिक विकृतियाँ परिलक्षित हो रही हैं, इसका क्या समाधान है? अनेक भले लोग इस से व्यथित हैं|
विवाह की संस्था नष्ट हो रही है, समाज में बड़े बूढ़ों की उपेक्षा हो रही है, और झूठ कपट का व्यवहार बढ़ रहा है| कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए?
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इसका एकमात्र उत्तर हो सकता है ......"स्वयं के उदाहरण से" ......|
अन्य कोई उत्तर नहीं हो सकता| जैसा हमारा स्वयं का आचरण होगा वैसा ही हमारे बच्चों का होगा| हम बच्चों में अच्छे संस्कार दे सकते हैं, उन्हें सर्वांगीण विकास के लिए अच्छा वातावरण देकर और उनके ह्रदय में बाल्यकाल से ही परमात्मा के प्रति प्रेम के संस्कार भरकर| उनमें यह भाव भरना होगा कि वे जीवन में जो भी कार्य करेंगे वह सर्वव्यापी भगवान की प्रसन्नता के लिए ही करेंगे| बाल्यकाल से ही उन्हें ध्यान करने का प्रशिक्षण और अभ्यास कराना होगा|
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जब उनके जीवन के केंद्र बिंदु भगवान होंगे तो स्वतः ही सारे अच्छे संस्कार
जागृत होंगे और वे जो भी करेंगे वह उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ होगा|
अन्य कोई उपाय नहीं है| धर्म की रक्षा धर्म के आचरण से ही होती है|
व्यवस्था अपने आप बदलेगी|
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शुभ कामनाएँ | ॐ ॐ ॐ ||
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यह प्रश्न मुझसे समाज के अनेक प्रबुद्ध लोग पूछते हैं कि आज की धर्मनिरपेक्ष (अधर्मसापेक्ष), सनातन हिन्दू धर्म विरोधी शिक्षा व्यवस्था में, दूरदर्शन के धारावाहिकों के प्रभाव से, और संयुक्त परिवारों के टूटने से युवा वर्ग में चारित्रिक विकृतियाँ परिलक्षित हो रही हैं, इसका क्या समाधान है? अनेक भले लोग इस से व्यथित हैं|
विवाह की संस्था नष्ट हो रही है, समाज में बड़े बूढ़ों की उपेक्षा हो रही है, और झूठ कपट का व्यवहार बढ़ रहा है| कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए?
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इसका एकमात्र उत्तर हो सकता है ......"स्वयं के उदाहरण से" ......|
अन्य कोई उत्तर नहीं हो सकता| जैसा हमारा स्वयं का आचरण होगा वैसा ही हमारे बच्चों का होगा| हम बच्चों में अच्छे संस्कार दे सकते हैं, उन्हें सर्वांगीण विकास के लिए अच्छा वातावरण देकर और उनके ह्रदय में बाल्यकाल से ही परमात्मा के प्रति प्रेम के संस्कार भरकर| उनमें यह भाव भरना होगा कि वे जीवन में जो भी कार्य करेंगे वह सर्वव्यापी भगवान की प्रसन्नता के लिए ही करेंगे| बाल्यकाल से ही उन्हें ध्यान करने का प्रशिक्षण और अभ्यास कराना होगा|
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जब उनके जीवन के केंद्र बिंदु भगवान होंगे तो स्वतः ही सारे अच्छे संस्कार
जागृत होंगे और वे जो भी करेंगे वह उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ होगा|
अन्य कोई उपाय नहीं है| धर्म की रक्षा धर्म के आचरण से ही होती है|
व्यवस्था अपने आप बदलेगी|
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शुभ कामनाएँ | ॐ ॐ ॐ ||
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