Monday, 5 December 2016

हे परमात्मा, हे परमप्रिय, अपने नियमों में परिवर्तन करो, अपना कानून बदलो .....

हे परमात्मा, हे परमप्रिय, अपने नियमों में परिवर्तन करो, अपना कानून बदलो|
क्या कोई पुत्र अपने पिता के बिना रह सकता है?
क्या कोई पिता अपने पुत्र से छिप कर रह सकता है? फिर क्यों छिपे हो?
तुम्हें पाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है अतः तुम अब और छिप नहीं सकते|
बड़ी बड़ी बातों से अब और ना बहलाओ|
तुम हमारे माता-पिता हो, तुमने हमें जन्म दिया है|
हम सिर्फ तुम्हारे हैं, तुम्हारे सिवा हमारा और कोई नहीं है|
इसी समय और यहीं तुम्हें प्रकट होना होगा|
यह कोई दुराग्रह नहीं है, यह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है|
अगर कोई नियम बाधक है तो उस नियम को बदलो, अपना कानून बदलो|
हमें तुम्हारे साक्षात्कार से कम और कुछ भी नहीं चाहिए|
न तो हमें तुम्हारी माया से कोई मतलब है, और न तुम्हारे ज्ञान से|
हमें सिर्फ और सिर्फ तुम चाहिए, और कुछ भी नहीं|
अपनी माया के आवरण को भेदकर हमारे समक्ष इसी क्षण प्रकट हों|
तुन्हारे बिना अब और नहीं रह सकते|
ॐ ॐ ॐ || ॐ ॐ ॐ || ॐ ॐ ॐ ||

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