Monday, 5 December 2016

सब सम्बन्धियों का संबंधी एकमात्र परमात्मा है .......

सब सम्बन्धियों का संबंधी एकमात्र परमात्मा है .......
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जी हाँ, यह सत्य है कि स्वयं परमात्मा ही है जो सभी सम्बन्धों में व्यक्त है,अतः हमें सारे संबंधों में परमात्मा के ही दर्शन करने चाहिए|
माता-पिता के रूप में भी भगवान ने ही हमें प्रेम किया है, भाई-बहिनों, सम्बन्धियों और मित्रों के रूप में भी भगवान ही आये हैं, और जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वे सब भगवान ही है, और हम भी वही हैं|
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और भी स्पष्टता से कहें तो हमारा असली सम्बन्धी हमारा "आत्म-तत्व" ही है| वही प्रत्यगात्मा है| भगवान ही हमारे एकमात्र सम्बन्धी हैं, प्रतीत होने वाले अन्य सब उसी के रूप हैं| भगवान को उपलब्ध होने के अतिरिक्त अन्य सब कामनाएँ हमें त्यागनी होंगी तभी हम इस सत्य को समझ पायेंगे| ये भगवान ही हैं जो इस "मैं" में भी व्यक्त हो रहे हैं| पृथकता का आभास ही आवरण है जो हमें सत्य को समझने नहीं देता|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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