Saturday, 3 December 2016

भारतवर्ष में सोना और खून .....

भारतवर्ष में सोना और खून .....
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वर्षों पहिले आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा एक उपन्यास पढ़ा था जिसका नाम था ... "सोना और खून"| वह वास्तव में एक बहुत शानदार ऐतिहासिक उपन्यास था| जिन्होनें वह उपन्यास नहीं पढ़ा है उन्हें एक बार उसे अवश्य पढ़ लेना चाहिए| भारतवर्ष के उत्थान और पतन के पीछे इसी सोने का हाथ रहा है| सारे खून-खराबे भी उसी सोने के लिए हुए हैं|
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भारतवर्ष जब अपने वैभव के चरम शिखर पर था तब लोग सोने की थालियों में भोजन कर के उस थाली को नदियों में फेंक दिया करते थे| राजा लोग हजारों गायों के सींग और खुर सोने से मंढ़ कर ऋषियों को दान में दे दिया करते थे|
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उसी सोने को लूटने के लिए ही भारत पर अरब, फारस और मध्य एशिया के लुटेरों के आक्रमण हुए| उसी सोने का आनन्द भोगने के लिए उन निर्मम लुटेरों ने भारत पर राज्य किया|
उसी सोने को लूटने के लिए ही पुर्तगाली, फ़्रांसिसी और अन्ग्रेज लुटेरे भारत आये| उस लूट के सोने ही यूरोप और अमेरिका आज समृद्ध हैं|
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भारतवर्ष में आज भी उसी सोने की ही चाह सबसे अधिक है| सोने को ही लक्ष्मी जी माना गया है जिसके लिए आज भी सभी व्याकुल हैं| सोना समृद्धि का जहाँ प्रतीक रहा है वहीं अहंकार का भी| रावण की लंका भी सोने की ही थी| कुल मिला कर सोना जहाँ पवित्र है वहीँ हर बुराई की भी जड़ है|
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हे प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी , सप्रेम नमस्कार !
निवेदन है कि स्वर्ण ( सोना ) को राष्ट्र की संपत्ति घोषित कर दें |
बड़ा उपकार होगा । समस्याओं का अंत होगा |
माननीय श्री मोरारजी देसाई ने भी प्रयास किया था पर सफल नहीं हुए|
आप अवश्य सफल होंगे | आज जो मारामारी चल रही है वह इसी सोने के लिए ही है |
धन्यवाद !
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पुनश्चः .....
सार :- जब सोना यानी समृद्धि हो तब उसे सुरक्षित रखने का सामर्थ्य भी चाहिए, अन्यथा चारों ओर से लुटेरे आंधी की तरह आने लगेंगे| महमूद गज़नवी ने सोमनाथ पर आक्रमण क्यों किया? क्यों भारत पर इतने विदेशियों के आकमण हुए? हम पराधीन क्यों हुए? क्योंकि हमारे में इतनी सद्गुण विकृतियाँ आ गयी थीं, हम इतने असंगठित हो गए थे कि अपनी रक्षा करने में असमर्थ हो गए थे| आज की तारीख में विपक्षी दलों ने संसद को क्यों ठप्प कर रखा है? क्योंकि उनका धन खतरे में है, और कोई कारण नहीं है| मेरा यह लेख प्रतीकात्मक है| हमें समृद्धि चाहिए पर वह समृद्धि हमारे आध्यात्मिक विकास में बाधक न हो| सभी को धन्यवाद !

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