Saturday 3 December 2016

सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन .....

सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन .....
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ॐ श्री गुरवे नमः ! ॐ श्री परमात्मने नमः !
परमात्मा हम सब के हृदय में है, और हम सब परमात्मा के ह्रदय में हैं| हम उनके साथ एक हैं| जो कुछ भी है या जो कोई भी हैं वे परमात्मा ही हैं| हमारा कोई पृथक अस्तित्व नहीं है| हमारी पृथकता उनके मन का एक भाव मात्र है| वे निरंतर हम में प्रवाहित हो रहे हैं| हमारी हर सोच उनकी सोच है| हमारी हर साँस उन की साँस है| हमारा प्राण उन का प्राण है|
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ॐ भू:, ॐ भुव:, ॐ स्व:, ॐ मह:, ॐ जन:, ॐ तपः, ॐ सत्यं |
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्यधीमहि धियोयोन:प्रचोदयात ||
ॐ आपो ज्योति, ॐ रसोSमृतं, ॐ ब्रह्मभूर्भुवःस्वरोम् ||
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ॐ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || ॐ ॐ ॐ ||
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ब्रह्ममुहूर्त में शीघ्र उठ कर शांत वातावरण में बैठिये|
मन को सब प्रकार के नकारात्मक विचारों से मुक्त कर कुछ देर गुरु महाराज और भगवान का स्मरण करें|
सीधे बैठकर तीन चार बार गहरे साँस लें| फिर तनाव मुक्त होकर भ्रूमध्य और सहस्त्रार के मध्य में में दृष्टी रखें|
अपने गुरु महाराज और भगवान की उपस्थिति का आभास करें और उन्हें प्रणाम करें|
सर्वव्यापी परमात्मा का ध्यान करें|

ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||

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