आज जीसस क्राइस्ट के खतनोत्सव को हम नववर्ष के रूप में मना रहे हैं। जनवरी का महिना भगवान श्रीगणेश के नाम पर है। पूरे विश्व में भगवान श्रीगणेश की पूजा हुआ करती थी। रोम साम्राज्य में भगवान श्रीगणेश को "जेनस" कहते थे। वे सबसे बड़े रोमन देवता थे। अपने देवता जेनस के नाम पर रोमन साम्राज्य ने वर्ष के प्रथम माह का नाम "जनवरी" रखा। किसी भी शुभ कार्य के आरंभ से पूर्व बुद्धि के देवता "जेनस" की पूजा होती थी। जेनस से ही अंग्रेजी का "Genius" शब्द बना है। आंग्ल कलेंडर में पहले १० महीने हुआ करते थे और वर्ष का आरंभ मार्च से होता था। भारतीयों की नकल कर के रोमन साम्राज्य ने दो माह और जोड़ दिए। जेनस देवता के नाम पर जनवरी, और फेबुआ देवता के नाम पर फरवरी नाम के दो महीने और जोड़कर आंग्ल वर्ष को १२ माह का कर दिया गया।
Tuesday, 7 January 2025
जीसस क्राइस्ट के खतनोत्सव को हम नववर्ष के रूप में मना रहे हैं ---
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अंग्रेजों की सबसे बड़ी संस्कृति है -- "धूर्तता"। उनसे बड़ा कोई अन्य धूर्त नहीं है। उन्होंने इस कलेंडर को अपनाया और बड़ी धूर्तता और क्रूरता से भारत में और पूरे विश्व में अपना कलेंडर थोप दिया। परिस्थितियों के वश हम ग्रेगोरी नाम के पोप (Pope Gregory XIII) द्वारा बनाए हुए इस ईसाई ग्रेगोरियन कलेंडर को मानने को बाध्य हैं। ग्रेगोरियन कलेंडर से पूर्व जूलियन कलेंडर हुआ करता था। अक्टूबर १५८२ में पोप ग्रेगोरी XIII ने वर्तमान ईसाई कलेंडर को लागू करवाया।
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अब हमें चाहिये कि हम आत्म-साधना यानि स्वयं की अपनी आत्मा को जानने और अपनी सर्वोच्च क्षमताओं का विकास करना आरंभ करें। जब हमारे पापकर्मफलों का क्षय होने लगता है, तब पुण्यकर्मफलों का उदय होता है, और परमात्मा को जानने की एक अभीप्सा जागृत होती है। अपनी करुणा व प्रेमवश -- भगवान स्वयं एक सद्गुरु के रूप में मार्गदर्शन करने आ जाते हैं। हमारे अंतर में इस सत्य का बोध भी तुरंत हो जाता है। हर साधक को उसकी पात्रतानुसार ही मार्गदर्शन प्राप्त होता है, जिसका अतिक्रमण नहीं हो सकता। हमारा लोभ और अहंकार हमारे पतन का सबसे बड़ा कारण है। हम अपना लोभ व अहंकार परमात्मा को अर्पित कर दें, अन्यथा पतन सुनिश्चित है। सभी को मंगलमय शुभ कामनाएँ !! आपके जीवन में शुभ ही शुभ हो !!ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१ जनवरी २०२५
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प्रमाण :--- Luke 2:21-38 King James Version (KJV)
And when eight days were accomplished for the circumcising of the child, his name was called JESUS, which was so named of the angel before he was conceived in the womb.
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