Tuesday, 7 January 2025

भगवान की कृपा से सब होगा, लेकिन प्रयास तो स्वयं को ही करना होगा ---

भगवान की कृपा से सब होगा, लेकिन प्रयास तो स्वयं को ही करना होगा। दिन में चौबीस घंटे, सप्ताह में सातों दिन, अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) भगवान को ही निरंतर समर्पित रहे। यही साधना है, यही साध्य है। भगवान के सिवाय अन्य कुछ भी प्रिय न हो। गुरु रूप में भगवान हर समय हमारे साथ एक हैं, कहीं कोई भेद नहीं है। हम यह नश्वर देह नहीं, भगवान की सर्वव्यापी चेतना हैं। अपनी सर्वव्यापकता का ध्यान करें। .

अब एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है कि भगवान ने क्या कहा, और गुरु महाराज ने क्या कहा, उनके शब्दों का कोई महत्व नहीं रहा है। महत्व सिर्फ एक ही बात का रहा है कि वे हैं, हर समय, हर स्थान पर वे कूटस्थ-चैतन्य में मेरे साथ एक हैं। उनसे कोई दूरी नहीं रही है। मेरी सम्पूर्ण चेतना उनके साथ एक हो गयी है। मैं उनके प्रति समर्पित हूँ। मेरा अब कोई पृथक अस्तित्व नहीं है, जो वे हैं वह ही मैं हूँ, जो मैं हूँ वह ही वे हैं। मैं उनके साथ एक हूँ।
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हे प्रेममय ज्योतिर्मय गुरुरूप कूटस्थ ब्रह्म, अपने इस बालक के ह्रदय को इतना पवित्र कर दो कि श्वेत कमल भी उसे देख कर शरमा जाय| तुम इस नौका के कर्णधार हो जिसे द्वैत से परे ले चलो| इसके अतिरिक्त इस बालक की अन्य कोई अभीप्सा नहीं है|
तुम सब नाम और रूपों से परे हो| तुम्हारा निवास कूटस्थ में है जहाँ तुम सदा मेरे साथ हो| तुम स्वयं कूटस्थ ब्रह्म हो| जब तुम साथ में हो तब मुझे अब और कुछ भी नहीं चाहिए| तुम्हारे विराट महासागर में मैं एक कण था जो तुम्हारे में विलीन होकर तुम्हारा ही एक प्रवाह बन गया हूँ| मैं तुम्हारे साथ एक हूँ और सदा एक ही रहूँगा ||
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मैं, मेरे गुरु महाराज, और मेरे उपास्य परमशिव -- ध्यान में तीनों एक हैं। मैं कूटस्थ सूर्यमंडल में उन्हीं का ध्यान करता हूँ। परमशिव के ध्यान में स्वयं की पृथकता के बोध को विलीन कर रहा हूँ। जो परमशिव हैं, वे ही पुरुषोत्तम हैं, वे ही श्रीहरिः भगवान विष्णु हैं। .
हे गुरुदेव, तुम को भी नमन और मुझ को भी नमन !
तुम्हारे साथ तो इतना जुड़ गया हूँ कि अब कोई भेद ही नहीं रहा है |
दोनों को नमन !
तुम और मैं दोनों ही अब परमात्मा में एक हैं |
हम दोनों ही सच्चिदानंद परमात्मा में मिल गए हैं |
हम 'उसी' की अभिव्यक्ति थे और 'उसी' को अभिव्यक्त कर रहे हैं |
अब ना तो तुम हो और ना मैं हूँ |
सच्चिदानंद के सिवा अब और कुछ भी नहीं है |
सच्चिदानंद भगवान की जय |
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ जनवरी २०२५

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