Tuesday, 7 January 2025

जब तक हम इस भौतिक शरीर की चेतना में हैं तब तक हम पाशों में बंधे हुए पशु हैं ---

 जब तक हम इस भौतिक शरीर की चेतना में हैं तब तक हम पाशों में बंधे हुए पशु हैं। पूर्ण भक्ति से परमात्मा की अनंतता का ध्यान और समर्पण ही हमें मुक्त कर सकता है। परमात्मा की ज्योतिर्मय अनंतता का ध्यान करें। सदा परमात्मा की चेतना में रहें। हमारे में लाखों कमियाँ होंगी, उन सभी अवगुणों व गुणों को परमात्मा में समर्पित कर दें। हमारा कोई पृथक अस्तित्व नहीं है। परमात्मा को हम निरंतर स्वयं में व्यक्त करें। हम उनके साथ एक हैं, हम स्वयं परमशिव हैं। जिस ऊर्जा और प्राण से यह ब्रह्मांड निर्मित हुआ है वह ऊर्जा और प्राण हम स्वयं हैं। हम ही ऊर्जा का हर कण, उसका प्रवाह, गति, स्पंदन और आवृति हैं। हम ही इस सृष्टि के प्राण हैं। भगवान के प्रति हमारा समर्पण पूर्ण हो।

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सम्पूर्ण सृष्टि भगवत्-चेतना में है। कोई भी या कुछ भी उन से पृथक नहीं है। वे अपनी साधना स्वयं कर रहे हैं। हम निरंतर उनकी चेतना में रहें।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ जनवरी २०२५

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