Friday, 6 September 2024

श्रीराधा कृष्ण कौन हैं ?

(१) जिन्होंने इस सम्पूर्ण सृष्टि को धारण कर रखा है, उस परा शक्ति का नाम श्रीराधा है। उनके संकल्प से सारी सृष्टि संचालित है। वे घनीभूत प्राण-तत्व के रूप में अनुभूत होती हैं। पूरे ब्रह्मांड में वे सारी सृष्टि की प्राण हैं।

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(२) जिन्हें हम वेदान्त में ब्रह्म कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण ही साकार रूप में वे परमब्रह्म, परमशिव हैं। उनकी अनुभूति आकाश-तत्व और परमप्रेम के रूप में होती है।
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(3) कुंडलिनी महाशक्ति का जागृत होकर परमशिव से मिलन ही --- श्रीराधाकृष्ण का मिलन है। इसे समाधि की अवस्था में ही समझा जा सकता है।
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(४) भगवान श्रीकृष्ण त्रिभंग मुद्रा में खड़े होकर बांसुरी बजा रहे हैं। उनका यह बांसुरी बजाना नए सृजन का प्रतीक है। बांसुरी बजाकर वे नई सृष्टि का निर्माण कर रहे हैं। उनकी त्रिभंग मुद्रा एक रूपक है, जो अज्ञान की तीनों ग्रंथियों -- रुद्रग्रंथि (मूलाधारचक्र), विष्णुग्रंथि (अनाहतचक्र), और ब्रह्मग्रंथि (आज्ञाचक्र) के भेदन का प्रतीक है। अज्ञान की इन तीनों ग्रंथियों का भेदन किए बिना परमब्रह्म परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती।
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ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१ सितंबर २०२४

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