गणेश चतुर्थी ---
कल ७ सितम्बर २०२४ को "गणेश चतुर्थी" है। अपनी अपनी आर्थिक क्षमता, और अपनी अपनी मान्यतानुसार लोग इस पर्व को मनाते हैं। अपनी पारिवारिक परंपरानुसार गणेश जी की पूजा करें। परम्पराएँ भी बदलती रहती हैं। शुभ मुहूर्त और पूजा पद्धति आदि की जानकारी आप अपने स्थानीय कर्मकांडी पारिवारिक पंडित जी से पूछें।
पूजाघर में पारिवारिक परंपरानुसार हम लोग तो पार्थिव गणेश जी की ही पूजा करते हैं। उनके पार्थिव रूप की ही पूजा करेंगे। अपनी अपनी आर्थिक क्षमतानुसार श्रद्धालु लोग मंहगे विग्रहों की भी पूजा करते हैं। कोई संदेह है तो किन्हीं कर्मकांडी पंडित जी को ससम्मान घर पर बुलाकर उन से पूजा करवाएँ। बाद में बिना पूछे ही कम से कम ५०१ या ११०० या अधिक की राशि उन्हें दक्षिणा के रूप में ससम्मान प्रदान करें। कोई सौदेबाजी न करें।
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सबसे अधिक महत्वपूर्ण है गणेश जी के मंत्रों का जप और ध्यान। गणेश जी पञ्चप्राण रूपी गणों के, ओंकार रूप में अधिपति हैं, इसलिए वे गणेश हैं। उनके किस मंत्र का कितनी बार, किस चक्र पर, किस विधि से जप और ध्यान करें? यह आप अपनी गुरु-परंपरा के अनुसार या अपने पारिवारिक आचार्य के बताये अनुसार करें।
नित्य उनकी आराधना का समय मध्यरात्रि से पूर्व लगभग ११ से ११.३२ बजे के मध्य का है। यदि हो सके तो इस अवधि में नित्य गणेशजी का जप और ध्यान करें। यह जीवन में आने वाले संकटों से आपकी रक्षा करेगा। यदि इस समय न कर सकें तो अन्य किसी भी समय पर करें, लेकिन करें अवश्य। किसी भी समय हरेक पूजा से पूर्व भी सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा होती है।
ॐ तत्सत् !!
६ सितंबर २०२४
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