Wednesday, 2 March 2022

स्वयं का आंकलन कर लेना चाहिए कि हम कहाँ खड़े हैं ---

 आजकल का जैसा खराब समय चल रहा है, उसमें हमें एक बार बड़े ध्यान से गीता के १६वें अध्याय "देव असुर संपदा विभाग योग" का स्वाध्याय कर के स्वयं का आंकलन कर लेना चाहिए कि हम कहाँ खड़े हैं। उसके बाद गीता में से ही अन्यत्र ढूंढ़ कर स्वयं के उद्धार का उपाय भी करना चाहिए। भगवान को सदा अपने हृदय में रखें। निकट भविष्य में ही आने वाले बहुत अधिक कठिन समय में हमारी रक्षा निश्चित रूप से होगी। सिर्फ भगवान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं।

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पुनश्च: ॥ कुछ सुझाव देना चाहता हूँ जिसके लिए कृपया बुरा न मानें ---
(१) नियमित साधना दृढ़ता से करें। हर समय भगवान का चिंतन करें, और भगवान में दृढ़ आस्था रखें। जीवन सादा और विचार उच्च हों। अपने आसपास का वातावरण पूर्णतः सात्विक रखें।
(२) हर तरह के नशे का पूर्णतः त्याग करें। जो भगवान को प्रिय है, वैसा ही भोजन, भगवान को निवेदित कर के ही ग्रहण करें।
(३) भगवान ने हमें विवेक दिया है| निज विवेक के प्रकाश में सारे कार्य परमात्मा की प्रसन्नता के लिए ही करें।
परमात्मा हमारी बुद्धि को तदानुसार प्रेरित करेंगे, फिर जो भी होगा वह हमारे भले के लिए ही होगा। सभी को शुभ कामनाएँ और नमन !
कृपा शंकर
२ मार्च २०२२

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