यूक्रेन के विरुद्ध चल रहे युद्ध में रूस का पक्ष धर्म-सम्मत और न्यायोचित है, अतः मैं रूस का पूरी तरह समर्थन करता हूँ ---
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भारत की बिकी हुई अविश्वसनीय समाचार मीडिया झूठ बोल रही है। असली लड़ाई रूस को लूटने की है। अगला नंबर भारत और चीन का है। रूस ध्वस्त हो जायेगा तो भारत को लूटना अत्यधिक आसान हो जायगा। अमेरिका और उसके साथी पश्चिमी देशों की गिद्ध-दृष्टि रूस के प्राकृतिक संसाधनों पर लगी हुई है। अमेरिका व उसके साथी पश्चिमी देशों के प्राकृतिक संसाधन लगभग समाप्त हो चुके है। आमने-सामने की लड़ाई में रूस को हराना असंभव है, अतः किसी बहाने रूस को आक्रमणकारी घोषित करके आर्थिक प्रतिबन्धों द्वारा बर्बाद करना पश्चिम की नीति है, ताकि पुतिन के विरुद्ध विद्रोह भड़के। पुतिन ने रूस को बहुत सशक्त बनाया है जो अमेरिका को पसंद नहीं आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ में अमरीका का आरोप था कि वीडियो फुटेजों से सिद्ध हो गया है कि रूस यूक्रेनी नागरिकों पर बमबारी कर रहा है। रूस का कहना था कि उन वीडियो फुटेजों में से कुछ तो यूक्रेनियों द्वारा बमबारी के हैं,कुछ अन्य देशों के पुराने फुटेज हैं, और कुछ अमरीका ने वीडियो गेम सॉफ्टवेयरों द्वारा बनाये हैं। सत्य क्या है इसकी जांच होनी चाहिए। अमेरिका की नीति झूठे आरोप लगा कर रूस जैसे विशाल देश को नष्ट करना है। अमेरिका इसी तरह के झूठे आरोप लगाकर इराक़ पर आक्रमण कर चुका है। उसका उद्देश्य इराक़ को लूटना मात्र था।
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अमेरिका ने कोरिया, विएतनाम, युगोस्लाविया, इराक़, व अफगानिस्तान जैसे देशों पर आक्रमण करने के लिए क्या संयुक्त राष्ट्र संघ की अनुमति ली थी? नेटो देश आज किस मुंह से रूस को आक्रमणकारी कह रहे है? युगोस्लाविया को तो पूरी तरह अमेरिका ने नष्ट कर दिया था। नेटो देशों ने इतिहास में जितने युद्ध, उपनिवेशवाद, दास−व्यापार और अत्याचार किए हैं, उतने किसी ने भी नहीं किए। भारत इसका भुक्तभोगी है। भारत को सावधान हो जाना चाहिये। कमजोर की कोई नहीं सुनता। डॉलर के चँगुल से हम अपना रूपया कैसे निकालें? इस पर हमें विचार करना चाहिए। डॉलर के नकली विनिमय मूल्य द्वारा अमेरिका हमें लूट रहा है। भारत को चाहिए कि थोरियम की शक्ति को तेजी से विकसित करे ताकि पेट्रोलियम पर निर्भरता समाप्त हो। आर्थिक दृष्टि से भी हम अति शीघ्रता से आत्मनिर्भर बनें।
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अमेरिका अफगानिस्तान से क्यों भागा? इसका सीधा सा उत्तर है -- दुनिया के सबसे बड़े ड्रग-तस्कर हक्कानी गिरोह को खुश करने के लिए, ताकि अमेरिका में सत्तासीन बड़े बड़े अंतर्राष्ट्रीय तस्करों को तालिबान से निरंतर कोकीन की सप्लाई मिलती रहे। अमेरिका ने अपने धन बल से यूक्रेन में एक ड्रग-एडिक्ट को वहाँ का राष्ट्रपति बनाया और ड्रग तस्करों की सरकार स्थापित की ताकि वे अमेरिका के चंगुल में फंसे रहें। पिछले दो दशकों से हिटलर की नकल में नात्सी विचारधारा यूक्रेनियों को पिलायी जा रही है। उनको सिखाया जाता है कि रूसी नस्ल घटिया है, जिसे मिटाना पुण्यकार्य है। यूक्रेनियों द्वारा सवाल न पूछे जाएँ, इसके लिये उनको कोकीन और डॉलर दिये जा रहे हैं। जिस तरह पाकिस्तान में लगभग सारे हिन्दुओ की हत्या कर दी गई थी, जर्मनी में यहूदियों की हत्या की गई थी, और बांग्लादेश में पाकिस्तानियों ने लगभग पचीस लाख बंगाली हिंदुओं की हत्या की थी, उसी तर्ज पर यूक्रेन में रूसी मूल के नागरिकों का नर संहार किया जाने लगा था। पूरे विश्व की समाचार मीडिया पर तो अमेरिका का अधिकार है, इस बात को छिपाया गया। रूस में बहुत अधिक रूसी मूल के यूक्रेनी नागरिक शरणार्थी के रूप में आने लगे। इसी कारण रूस को यूक्रेन पर आक्रमण करने को बाध्य होना पड़ा, वैसे ही जैसे १९७१ में भारत को पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध कर के बांग्लादेश को मुक्त करना पड़ा था। रूस ने बातचीत करने का भी बहुत प्रयास किया लेकिन उसकी बात सुनी ही नहीं गई।
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अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति पर अमेरिका में ही आरोप है कि वे ड्रग तस्करों द्वारा उनके समर्थन में किए गए दुष्प्रचार के कारण सत्ता में आए। यह बात सही भी हो सकती है। उनका एक बेटा तो अत्यधिक नशे की लत के कारण मर गया था, और दूसरे बेटे को ड्रग लेने की आदत के कारण अमेरिकी नौसेना ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। कहते है कि उनका वही बेटा यूक्रेन के मामलों को देख रहा था। अमेरिका में वर्तमान राष्ट्रपति की छवि एक ड्रग लॉर्ड की है।
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यूक्रेन में मारकाट CIA के पाले हुये गुंडे कर रहे हैं। लगभग बीस हज़ार लोगों की 'अजोव बटालियन' नाम की एक नाजी सेना वहाँ बनाई गई है जिसका काम ही रूसी मूल के लोगों की हत्या करना है। रूस नष्ट हो जाएगा तो अगला नंबर भारत के हिंदुओं का है। फिर चीन का होगा। फिर दुनिया के अन्य गरीब देशों का नंबर आयेगा। जीवित रहने का अधिकार सिर्फ धनवान गोरों का ही होगा।
यह है यूक्रेन व रूस के मध्य हो रही लड़ाई का कारण। यही कारण है कि इस युद्ध में मैं रूस का समर्थन करता हूँ। सभी को धन्यवाद। नमस्ते॥
२ मार्च २०२२
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