Saturday, 12 February 2022

लोभ और अहंकार से मुक्ति ही अहिंसा है जो हमारा परम धर्म है ---

 मनुष्य का लोभ और अहंकार ही सबसे बड़ी हिंसा है| लोभ और अहंकार से मुक्ति ही अहिंसा है जो हमारा परम धर्म है|

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जहाँ कुटिलता (छल-कपट) और असत्य (झूठ) है, वहाँ परमात्मा का अनुग्रह कभी भी, किसी भी परिस्थिति में नहीं हो सकता| ऐसे विकट समय में हमारे जीवन का क्या उद्देश्य हो, और हम क्या साधना करें, और क्या न करें? यह एक यक्ष-प्रश्न है| मनुष्य सिर्फ अपनी मृत्यु से ही डरता है, अन्य किसी भी चीज से नहीं| अतः अपने सामने अपनी मृत्यु को देखकर ही वह परमात्मा का स्मरण करता है, अन्यथा तो परमात्मा एक साधन (माध्यम) है, और संसार साध्य (धन, संपत्ति, यश और इंद्रिय सुख)| आजकल के लोग दूयरों को ठगने में सफल हों, और उनकी चोरी-बेईमानी पकड़ी न जाये, इसके लिए ही भगवान का स्मरण करते हैं| वे अपने अधर्म में भगवान को भी साझेदार बनाना चाहते हैं|
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मेरी आस्था वर्तमान मनुष्यता से उठ चुकी है| यह समय बड़ा विकट है| भगवान के नाम पर, और अन्यथा भी इतना अधिक झूठ और छल-कपट इस समय व्यावहारिक रूप से समाज में प्रचलित है, जिसकी कभी मैंने कल्पना भी नहीं की थी| ये --- "इंसानियत", "भाईचारा", "नेकी", "मानवता", "मनुष्यता", "अच्छे इंसान बनो", जैसे भ्रमित करने वाले शब्द दूसरों को भ्रमित और ठगने के लिए ही प्रयुक्त होते हैं|
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जहाँ कुटिलता और असत्य है, वहाँ परमात्मा का अनुग्रह कभी भी किसी भी परिस्थिति में नहीं हो सकता| लोग दूसरों को ठगने के लिए बड़ी मधुर वाणी में मीठी-मीठी बातें करते हैं, पर उनकी अंतर्दृष्टि छल-कपट द्वारा दूसरों का धन छीनने में ही रहती है| आजकल के तथाकथित भले लोग स्वयं के एक रुपये के लाभ के लिए दूसरे का लाखों रुपये का नुकसान कर देते हैं| वास्तविकता यह है कि आज का मनुष्य अपबे स्वयं के समाज में भी दूसरों को दुःखी देखकर ही सुखी होता है| कुछ भलाई का काम वह कर भी लेता है तो सिर्फ अपने अहंकार की पूर्ति के लिए ही करता है| मैं कोई नकारात्मक व्यक्ति नहीं हूँ, पूरी तरह सकारात्मक और आशावादी हूँ, लेकिन जो सत्य प्रत्यक्ष देख रहा हूँ, वही कह रहा हूँ|
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ऐसे समय में क्या करें और क्या न करें? यह अपने हृदय से ही पूछो| हृदय कभी झूठ नहीं बोलता| हमारा मन ही धोखेबाज है क्योंकि वह नफा-नुकसान सोच कर ही उत्तर देता है| सदा अपने हृदय की ही आवाज सुनें| हृदय में परमात्मा का निवास है| हृदय सदा सत्य ही कहेगा|
ॐ तत्सत् || ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ फरवरी २०२१

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