Saturday, 12 February 2022

हमारी चेतना का सूक्ष्मतम केंद्र बिंदु -- हमारा "चित्त" है ---

योग-दर्शन ने चित्त की वृत्तियों के निरोध को योग परिभाषित किया है, लेकिन इसे गोपनीय ही रखा है कि चित्त क्या है और उसकी वृत्तियाँ क्या हैं| हमारी चेतना का सूक्ष्मतम केंद्र बिंदु -- हमारा "चित्त" है जिसे समझना बड़ा कठिन है| इसका नियंत्रण सीधे प्राण-तत्व से होता है| प्राण तत्व की चंचलता ही चित्त की वृत्ति है| प्राण-तत्व ही ऊर्ध्वमुखी होकर हमें देवता बना देता है, और अधोमुखी होकर यही हमें असुर/राक्षस बना सकता है|

.
इसका ज्ञान शिष्य की पात्रता देखकर ही दिया जाता है, क्योंकि यह एक दुधारी तलवार है जो शत्रु को भी नष्ट कर सकती है और स्वयं को भी मार सकती है| इसीलिए इस में यम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) और नियम (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान) की अनिवार्यता कर दी गयी है| योग साधना से कुछ सूक्ष्म शक्तियों का जागरण होता है| यदि साधक के आचार विचार सही नहीं हुए तो या तो उसे मस्तिष्क की कोई गंभीर विकृति हो सकती है या सूक्ष्म जगत की आसुरी शक्तियां उस को अपने अधिकार में लेकर अपना उपकरण बना सकती हैं| इस विषय पर मैं इस से अधिक नहीं लिखूंगा, क्योंकि यह एक अनधिकार चेष्टा होगी| भगवान से प्रेम होगा तो भगवान की कृपा से यह विषय स्वतः ही समझ में आ जाएगा|
.
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ फरवरी २०२१

No comments:

Post a Comment