Saturday, 7 August 2021

राम जी अगर दीपक हैं तो मैं उनका प्रकाश हूँ ---

राम जी अगर दीपक हैं तो मैं उनका प्रकाश हूँ। वे पुष्प हैं तो मैं उनकी सुगंध हूँ। वे राम हैं तो मैं उनका सेवक हूँ। पूरी समष्टि ही राममय है। हे राम, तुम राम हो तो मैं तुम्हारा दास हूँ। तुम अगाध समुद्र हो तो मैं तुम्हारा मेघ हूँ। तुम चन्दन के वृक्ष हो तो मैं तुम्हारी महक हूँ। दिन-रात मुझे अपनी सेवा में रखो, और मेरे मन में किसी चीज की कामना ही उत्पन्न न हो। मेरी एकमात्र गति तुम हो, तुम्हारे सिवाय अन्य कोई विचार इस चित्त में प्रवेश ही न कर पाये। मेरी रक्षा करो। त्राहिमाम् त्राहिमाम् त्राहिमाम् !!

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र:। स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र:। सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु| नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे। रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम:॥

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम्‌। रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर॥
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सब कहते हैं ... "राम से बड़ा राम का नाम", पर श्रीरामचरितमानस में भुशुंडिजी कहते हैं --
"मोरे मन प्रभु अस विश्वासा। राम ते अधिक राम कर दासा॥
राम सिंधु घन सज्जन धीरा। चंदन तरु हरि संत समीरा॥"

कुछ अनुभूतियाँ इतनी व्यक्तिगत हैं कि लिखी नहीं जा सकतीं| राम का चिंतन होते ही Laptop का key Board और Screen सब लुप्त हो जाते हैं| टंकण करने वाली अंगुलिया भी नहीं दिखाई देतीं| फिर कुछ भी लिखना संभव नहीं रहता| चेतना में राम के सिवाय अन्य कुछ भी नहीं रहता|

८ अगस्त २०२०

1 comment:

  1. दोनों कानों को बंद करने पर जो ध्वनि सुनाई देती है, वह प्राण और अपान के संयोग से उत्पन्न जाठर अग्नि वैश्वानर की ध्वनि है। तेलधारा की तरह अटूट अक्षुण्ण रूप से इसे सुनते-सुनते गुरु-प्रदत्त बीजमन्त्र का यथासंभव मानसिक जप, महामोक्षदायी है। इसकी महिमा अनंत है जो शब्दों में व्यक्त नहीं हो सकती। उपरोक्त साधना अपनी गुरु-परंपरानुसार करें। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
    ४ अगस्त २०२१

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