Saturday, 7 August 2021

हृदय कभी झूठ नहीं बोलता, अपने मन की न सुनें ---

निज जीवन में अब किसी भी तरह की कोई अभिलाषा, व किसी से भी किसी भी तरह की कोई आशा या अपेक्षा नहीं रही है। जीवन का अब कोई उद्देश्य नहीं है। प्रकृति - अपने नियमों के अनुसार सृष्टि का संचालन कर रही है, और करती रहेगी। उन नियमों को न जानना हमारी अज्ञानता है। एकमात्र अस्तित्व परमात्मा का है, जिन को यह जीवन समर्पित है। अवशिष्ट जीवन में उन की ही पूर्ण अभिव्यक्ति हो, उनकी ही इच्छा पूर्ण हो, और उन की स्मृति में ही यह जीवन व्यतीत हो जाये।

यह श्रावण का पवित्र माह है जो भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ है। आजकल पूरे विश्व का वातावरण बहुत अधिक प्रदूषित हो रहा है। माया का आवरण इस समय बहुत अधिक गहरा है।
एक बात अपनी पूरी सत्यनिष्ठा से अपने हृदय से पूछें कि राष्ट्र और समष्टि के हित में हम अपना सर्वश्रेष्ठ क्या कर सकते हैं? अपना हृदय जो उत्तर दे उसी का अनुसरण करें। हृदय कभी झूठ नहीं बोलता। अपने मन की न सुनें।
ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ अगस्त २०२१

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