भारत छोड़ो आंदोलन ---
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८ अगस्त १९४२ का दिन बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन श्री मोहनदास-करमचंद गांधी द्वारा मुंबई के "अगस्त क्रान्ति मैदान" में "भारत छोड़ो आंदोलन" आरंभ किया गया था। उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध (१ सितंबर १९३९ - २ सितंबर १९४५) चल रहा था। यह एक बहुत विराट देशव्यापी आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना था।
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इस आन्दोलन को अंग्रेजों ने बड़ी निर्दयता और निर्ममता से पूरे देश में बहुत बुरी तरह कुचल दिया था, इस लिए यह सफल नहीं हुआ। गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था। जयप्रकाश नारायण भूमिगत हो गए थे। फिर श्री लालबहादुर शास्त्री ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। "करो या मरो" का नारा गांधीजी ने दिया था जिसे लालबहादुर शास्त्री जी ने "मरो नहीं, मारो" बना दिया।
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कुछ राजनीतिक विचारकों के अनुसार इस आंदोलन की विफलता का कारण गलत समय पर गलत राजनीति से प्रेरित होना था। ९ अगस्त १९२५ को पं.रामप्रसाद 'बिस्मिल' के नेतृत्व में दस जुझारू कार्यकर्ताओं ने काकोरी काण्ड किया था जिसकी यादगार ताजा रखने के लिये पूरे देश में प्रतिवर्ष ९ अगस्त को "काकोरी काण्ड स्मृति-दिवस" मनाने की परम्परा भगत सिंह ने आरम्भ कर दी थी जिसमें बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे। गांधीजी चाहते थे कि जनता उसे भूल जाए। इसलिए उन्होंने इस आन्दोलन का समय आठ और नौ अगस्त को रखा।
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विद्यालयों में तो हमें यही पढ़ाया गया था कि हमें स्वतन्त्रता इसी आन्दोलन के कारण मिली। लेकिन यह झूठ था। बड़े होकर ही हमें पता चला कि स्वतन्त्रता निम्न दो कारणों से मिली --
(१) द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति तक अंग्रेजी सेना की कमर टूट गयी थी और वह भारत पर अपना नियंत्रण रखने में असमर्थ थी। भारतीय सैनिकों ने अँगरेज़ अफसरों के आदेश मानने और उन्हें सलामी देना बंद कर दिया था। नौसेना ने विद्रोह कर दिया था और अँगरेज़ अधिकारियों को मुंबई के कोलाबा में बंदी बना लिया। इससे अँगरेज़ बहुत अधिक डर गए थे, और उन्होंने भारत छोड़ने का निर्णय ले लिया।
(२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना की और अपनी स्वतंत्र सेना बनाकर भारत की स्वतन्त्रता के लिए युद्ध आरम्भ कर दिया। वे इतने अधिक लोकप्रिय हो चुके थे कि उन्हें भारत के प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता था। अँगरेज़ भयभीत थे। उन्होंने भारत का अधिक से अधिक नुकसान किया, भारत को अधिक से अधिक लूटा, विभाजन किया और अपने मानसपुत्र को सता हस्तांतरित कर के भारत से चले गए|
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धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो !! भारत सदा विजयी रहे !! हर हर महादेव !!
ॐ तत्सत् !!
८ अगस्त २०२१
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