Monday, 13 May 2019

हम कब तक सोते रहेंगे ? .....

हम कब तक सोते रहेंगे ? .....
अनंत काल से अब तक हम सो ही तो रहे हैं, और किया भी क्या है? क्या अब भी सोते ही रहेंगे?अब तो जागने में ही सार है| सदा सोने की बहुत बुरी आदत पड़ गयी है| बाहर चारों ओर अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश हो रहा है, और ज्ञान रूपी प्रकाश फ़ैलने लगा है| जिन्हें यह प्रकाश दिखाई नहीं दे रहा है वे अभी भी नींद में हैं| उनकी चिंता छोड़ो| सामने साक्षात् परमात्मा हैं| उनके इस विराट प्रेमसिन्धु में तुरंत छलांग लगा लो| आनंद ही आनंद है, कहीं कोई अभाव नहीं है| परमात्मा के प्रकाशमय रूप का ध्यान कीजिये, प्रकाश और आनंद से चैतन्य भर जाएगा| कहीं भी अन्धकार नहीं दिखेगा|
कृपा शंकर .
१२ मई २०१९

2 comments:

  1. कोई माने या न माने पर जीवन के अंतिम काल में सभी को यह मानना ही पड़ता है कि उन्हें अपने जीवन की युवावस्था में ही भगवान से जुड़ जाना चाहिए था व भगवत्-साक्षात्कार ही उन के जीवन का एकमात्र लक्ष्य और उद्देश्य होना चाहिए था| संसार से मोह ही सारी समस्याओं की जड़ होती है, जब तक यह बात समझ में आती है तब तक बहुत अधिक देरी हो जाती है| इसी उधेड़बुन में प्राण छुट जाते हैं|

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  2. मैं तो फूल हूँ, मुरझा गया तो मलाल कैसा?
    तुम तो महक हो, तुम्हें अभी हवाओं में समाना है .....
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    किसी को किसी के प्रति भी द्वेष नहीं रखना चाहिए| राग और द्वेष ये दो ही पुनर्जन्म यानि इस संसार में बारम्बार आने के कारण हैं| जिससे भी हम द्वेष रखते हैं, अगले जन्म में उसी के घर जन्म लेना पड़ता है| जिस भी परिस्थिति और वातावरण से हमें द्वेष हैं वह वातावरण और परिस्थिति हमें दुबारा मिलती है| बुराई का प्रतिकार करो, युद्धभूमि में शत्रु का भी संहार करो पर ह्रदय में घृणा बिलकुल भी ना हो| परमात्मा को कर्ता बनाकर सब कार्य करो| कर्तव्य निभाते हुए भी अकर्ता बने रहो| सारे कार्य परमात्मा को समर्पित कर दो, फल की अपेक्षा या कामना मत करो|
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    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
    कृपा शंकर
    १७ मई २०१९

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