Monday 13 May 2019

स्त्री सदा जन्मजात ऋणमुक्ता और अवध्या है.....

स्त्री सदा जन्मजात ऋणमुक्ता और अवध्या है.....
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जन्म के समय हर पुरुष पर पितृऋण, ऋषिऋण और देवऋण होते हैं, जिन से उसे उऋण होना ही पड़ता है| पर ये ऋण सिर्फ पुरुषों पर होते हैं, स्त्रियों पर नहीं| कन्या के ऋण का भार पिता पर होता है, और विवाहिता के ऋण का भार पति पर होता है| स्त्री सदा ऋणमुक्ता है, उस पर कोई ऋण नहीं है|
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ऐसे ही स्त्री सदा अवध्या भी है| उसका वध नहीं किया जा सकता| कुछ विशेष परिस्थितियों में ही आततायी स्त्री का वध किया जा सकता है जैसे भगवान श्रीराम ने ताड़का का किया था| पर वे विष्णु के अवतार थे जिन्हें कोई पाप नहीं लग सकता| भारत के पूरे इतिहास में किसी भी हिन्दू शासक ने कभी भी किसी स्त्री का वध नहीं किया|
११ मई २०१९

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