Wednesday, 16 May 2018

भगवान से उनके प्रेम के अतिरिक्त अन्य कुछ भी मांगना उनका अपमान है .....

भगवान से उनके प्रेम के अतिरिक्त अन्य कुछ भी मांगना उनका अपमान है .....

जब हम भगवान के प्रेममय रूप का ध्यान करते हैं तब जिस आनंद की अनुभूति होती है वह आनंद अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता| वह आनंद अनुपम और अतुल्य है| यह बात करने का नहीं, अनुभव का विषय है|

अपने सम्पूर्ण हृदय से प्रभु को प्रेम करो, और उनसे उनके प्रेम के अतिरिक्त अन्य कुछ भी मत चाहो| जो आनंद, संतुष्टि और तृप्ति उनको प्रेम करने और उनकी उपस्थिति के आभास से मिलती है, वह इस सृष्टि में अन्य कहीं भी नहीं मिल सकती| उसके आगे अन्य सब कुछ गौण है| जब उनका प्रेम मिल गया तो सब कुछ मिल गया| अन्य कोई अपेक्षा मत रखिये|

हम सब के ह्रदय में वह प्रेम जागृत हो, सभी को शुभ मंगल कामनाएँ|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१३ मई २०१८

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