हम कब तक सोते रहेंगे ?
अनंत काल से अब तक सो ही तो रहे हैं, और किया भी क्या है? क्या अब भी सोते ही रहेंगे? अब तो जागने में ही सार है| बहुत बुरी आदत पड़ गयी है सदा सोने की|
बाहर चारों ओर अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश हो रहा है, और ज्ञान रूपी प्रकाश फ़ैलने लगा है| जिन्हें यह प्रकाश दिखाई नहीं दे रहा है वे अभी भी नींद में हैं| उनकी चिंता छोड़ो| सामने साक्षात् परमात्मा हैं| उनके इस विराट प्रेमसिन्धु में तुरंत छलांग लगा लो| आनंद ही आनंद है, कहीं कोई अभाव नहीं है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ मई २०१८
अनंत काल से अब तक सो ही तो रहे हैं, और किया भी क्या है? क्या अब भी सोते ही रहेंगे? अब तो जागने में ही सार है| बहुत बुरी आदत पड़ गयी है सदा सोने की|
बाहर चारों ओर अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश हो रहा है, और ज्ञान रूपी प्रकाश फ़ैलने लगा है| जिन्हें यह प्रकाश दिखाई नहीं दे रहा है वे अभी भी नींद में हैं| उनकी चिंता छोड़ो| सामने साक्षात् परमात्मा हैं| उनके इस विराट प्रेमसिन्धु में तुरंत छलांग लगा लो| आनंद ही आनंद है, कहीं कोई अभाव नहीं है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ मई २०१८
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