Sunday 21 May 2017

नाथ सम्प्रदाय के १२ उप सम्प्रदायों में "मन्नाथी" सम्प्रदाय के "टाँई" गाँव (जिला झुंझुनूं, राजस्थान) स्थित प्राचीनतम प्रमुख मठ का भ्रमण .....

May 20, 2017.

नाथ सम्प्रदाय के १२ उप सम्प्रदायों में "मन्नाथी" सम्प्रदाय के "टाँई" गाँव (जिला झुंझुनूं, राजस्थान) स्थित प्राचीनतम प्रमुख मठ का भ्रमण .....
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राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र की मरुभूमि में झुंझुनू जिले के बिसाऊ कसबे के पास "टाँई" गाँव में मन्नाथी सम्प्रदाय का प्राचीनतम प्रमुख मठ है| यह मठ बहुत विशाल और जागृत स्थान है| इस सम्प्रदाय में अनेक सिद्ध संत हुए हैं और अभी भी हैं| यहाँ की परम्परा के संतों के झुंझुनू, फतेहपुर (सीकर जिला) और लक्ष्मणगढ़ (सीकर जिला) सहित भारत के अनेक स्थानों पर आश्रम हैं|

आज प्रातः साढ़े तीन बजे सपरिवार हमारे घर से लगभग ३२ किलोमीटर दूर इस आश्रम के लिए कार द्वारा चलकर ठीक चार बजे वहाँ पहुँच गया| बड़ा सुरम्य वातावरण था| वहाँ सूर्योदय से पूर्व ही शनिवार और मंगलवार को दूर दूर से अनेक श्रद्धालू आते हैं, जिनके असाध्य रोग नाथ जी महाराज की कृपा और आशीर्वाद से ठीक हो जाते हैं| ब्रह्ममुहूर्त में वहाँ जाना और भगवान का स्मरण करना अपने आप में एक अच्छा अनुभव था|

प्राचीन काल में स्यालकोट (वर्तमान में पाकिस्तान में) में शंखभाटी नाम के एक राजा थे जिनके पूर्णमल और रिसालु नाम के दो पुत्र थे| ये दोनों भाई श्री गोरक्षनाथ जी के प्रत्यक्ष शिष्य बने और क्रमशः योगी चोरंगी नाथ और योगी मन्नाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए| भ्रमण करते करते योगी मन्नाथ जी इस मरुभूमि में आये और यहीं रह कर घोर तपस्या कर के परम अवधूत सिद्ध संत कहलाये| उनकी ही परम्परा में यह मन्नाथी सम्प्रदाय बना और यह स्थान "टाँई" नामक गाँव के रूप में प्रसिद्ध हुआ|

यहीं पर योगी मन्नाथ जी ने अपनी देह त्यागी, जहाँ उनका समाधी मंदिर है| इस आश्रम के अंतर्गत प्राचीन काल से ही २००० बीघा कृषि भूमि है| इसमें उनके शिष्यों की भी समाधियाँ हैं| दीर्घकाल तक यहाँ बहुत अच्छे अच्छे सिद्ध संत रहे हैं, अतः यह स्थान बहुत जागृत है|

मुझे ऐसे स्थानों पर जाना बहुत अच्छा लगता है| मरुभूमि का यह पूरा क्षेत्र वास्तव में हर सम्प्रदाय के साधू संतों के दिव्य स्पंदनों से भरा पडा है|

ॐ ॐ ॐ ||

May 20, 2017.

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