" यो वै भूमा तत् सुखं नाल्पे सुखमस्ति " ।
भूमा तत्व में यानि व्यापकता, विराटता में सुख है, अल्पता में सुख नहीं है| जो भूमा है, व्यापक है वह सुख है| कम में सुख नहीं है|
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ब्रह्मविद्या के आचार्य भगवान सनत्कुमार से उनके शिष्य देवर्षि नारद ने पूछा ..
" सुखं भगवो विजिज्ञास इति " |
भूमा तत्व में यानि व्यापकता, विराटता में सुख है, अल्पता में सुख नहीं है| जो भूमा है, व्यापक है वह सुख है| कम में सुख नहीं है|
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ब्रह्मविद्या के आचार्य भगवान सनत्कुमार से उनके शिष्य देवर्षि नारद ने पूछा ..
" सुखं भगवो विजिज्ञास इति " |
जिसका उत्तर भगवान् श्री सनत्कुमार जी का प्रसिद्ध वाक्य है .....
" यो वै भूमा तत् सुखं नाल्पे सुखमस्ति " |
( यो वै भूमा तत् सुखम्, नाल्पे सुखमस्ति,भूमैव सुखं-छान्दोग्य उप. (७/२३/१) | )
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ॐ नमो भगवते सनत्कुमाराय | ॐ ॐ ॐ ||
" यो वै भूमा तत् सुखं नाल्पे सुखमस्ति " |
( यो वै भूमा तत् सुखम्, नाल्पे सुखमस्ति,भूमैव सुखं-छान्दोग्य उप. (७/२३/१) | )
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ॐ नमो भगवते सनत्कुमाराय | ॐ ॐ ॐ ||
🙏 नारायण हरि।
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद।
https://youtu.be/qRgqPTl1oG8