Tuesday 7 February 2017

मानवतावाद .....

मानवतावाद .....
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"मानवतावाद", "मनुष्यता" या "इंसानियत" ..... ये विजातीय, अस्पष्ट और भ्रमित करने वाले शब्द हैं| ये शब्द नास्तिक मार्क्सवादी महान रूसी साहित्यकार मेक्सिम गोर्की की देन हैं| उन्होंने ही सर्वप्रथम इन शब्दों का रूसी भाषा में प्रयोग किया था| उनका साहित्य विश्व की अनेक भाषाओँ में अनुवादित होकर अति लोकप्रिय हुआ और ये शब्द प्रयोग में आये| हिंदी में भी उनका साहित्य अनुवादित होकर छपा और बहुत लोकप्रिय हुआ था| हिंदी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद मेक्सिम गोर्की से बहुत अधिक प्रभावित थे| मेक्सिम गोर्की ने एक नारा दिया था कि हम मनुष्य हैं, इसका हमें अभिमान होना चाहिए| मार्क्सवादियों ने मानवतावाद को मानव मूल्यों और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला दर्शन बताया जो धार्मिकता को अस्वीकार कर नैतिकता और न्याय का पक्ष लेता है| यह नास्तिक रूसी साहित्य का ही प्रभाव था जिससे भारत के साहित्य पर मार्क्सवाद यानि प्रगतिवाद का इतना गहरा प्रभाव पड़ा|
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उपरोक्त मानवतावाद दर्शन वेदविरुद्ध है| समष्टिवाद वेदसम्मत है| भारतीय दर्शन समष्टि के कल्याण की बात करते हैं, न की सिर्फ मनुष्य जाति की|
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मानवतावाद की बातें करने वाले अपने स्वयं के देश में हुए नरसंहारों से कभी विचलित नहीं हुए| यह उनका पाखण्ड था| स्टालिन ने बाल्टिक सागर को श्वेत सागर से जोड़ने के लिए लेनिनग्राद से आर्केंगल्स्क तक एक नहर बनाने का आदेश दिया था, जिसमें लाखों राजनीतिक बंदियों को बलात् काम पर लगा दिया गया | दस लाख के लगभग राजनीतिक बंदी वहाँ ठण्ड और कुपोषण से मारे गए थे| जब वह नहर आधी-अधूरी बनी तब उसमें सर्वप्रथम यात्रा करने वालों में मेक्सिम गोर्की भी थे जिन्होनें मानवतावाद का सिद्धांत प्रचलित किया|
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मार्क्सवाद एक अंधे कुएँ का अन्धकार है जिसमें मैं भी कुछ समय के लिए डूब गया था पर हरिकृपा से शीघ्र ही उस अन्धकार से मुक्त हो गया| मार्क्सवाद की काट भारत का वेदांत दर्शन है जिसके आगे कोई भी नास्तिक सिद्धांत नहीं टिक सकता| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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