Monday 13 February 2017

ज्ञान का स्त्रोत ....

ज्ञान का स्त्रोत ....
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पुस्तकों का अध्ययन अति आवश्यक है पर यह ध्यान रहे कि पुस्तकें मात्र सूचनाएँ देती हैं, ज्ञान नहीं| ज्ञान का स्त्रोत तो सिर्फ परमात्मा हैं|
पुस्तकों से प्राप्त सूचनाएँ तो एक उच्च स्तर का अज्ञान ही है जो सही ज्ञान पाने की प्रेरणा देता है| यही उसका उपयोग है|
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अच्छी पुस्तकें पढ़ने से सूचना और प्रेरणा तो मिलती ही हैं, साथ साथ लेखक से और जिन के बारे में वह लिखी गयी है से सत्संग भी होता है| अतः सत्साहित्य का खूब स्वाध्याय करना चाहिए|
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पर उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है ---- भगवन की अहैतुकी भक्ति और उन का ध्यान| जो लाभ आठ घंटे के स्वाध्याय से होता है, उससे भी अधिक लाभ एक घंटे की ध्यान साधना से होता है| ध्यान ..... परमात्मा के साथ सत्संग है|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर

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