Wednesday 18 January 2017

मेरे चरित्र में श्वेतकमल से भी अधिक पवित्रता हो .....

मेरे चरित्र में श्वेतकमल से भी अधिक पवित्रता हो, कहीं कोई दाग न रहे| कोई अभिलाषा, कोई कामना, कोई राग-द्वेष का अवशेष भी न रहे|
अनगिनत छिद्रों से भरी इस जीर्णशीर्ण नौका के कर्णधार हे गुरुरूप ब्रह्म, मुझे भुलावा देकर इस मायावी भवसागर से पार ले चलो जहाँ सिर्फ और सिर्फ सच्चिदानंद परमात्मा की ही परम चेतना हो|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ || ॐ ॐ ॐ || ॐ ॐ ॐ ||

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