*********** उपदेश सार **********
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"अलप तो अवधि
जीव तामें बहुत सोच पोच करिबे
को बहुत काह काह कीजिए|
पार न पुरानहु को
वेदहु को अन्त नाही
वाणी तो अनेक चित्त कहाँ कहाँ दीजिए।।१||
काव्य की कला अनन्त
छन्द को प्रबन्ध बहुत
राग तो रसीले रस कहाँ कहाँ पीजिए।
लाखन में एक बात
तुलसी बताए जात
जनम जो सुधारा चहो 'राम' नाम लीजिए।।२||"
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"अलप तो अवधि
जीव तामें बहुत सोच पोच करिबे
को बहुत काह काह कीजिए|
पार न पुरानहु को
वेदहु को अन्त नाही
वाणी तो अनेक चित्त कहाँ कहाँ दीजिए।।१||
काव्य की कला अनन्त
छन्द को प्रबन्ध बहुत
राग तो रसीले रस कहाँ कहाँ पीजिए।
लाखन में एक बात
तुलसी बताए जात
जनम जो सुधारा चहो 'राम' नाम लीजिए।।२||"
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