धर्म की रक्षा .... स्वयं के द्वारा धर्म के पालन से ही होगी ......
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हमारी अस्मिता पर एक बहुत लम्बे समय से बड़े भयंकर मर्मान्तक प्रहार होते आ रहे हैं| साधू-संतों-भक्तों-वीर-वीरांगणाओं व सद् गृहस्थों के त्याग, संघर्ष और पुण्यों के प्रताप से हमारी अस्मिता अभी तक जीवित बची हुई है|
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वर्त्तमान में धर्मनिरपेक्षता, तथाकथित आधुनिकता, सहिष्णुता, वर्त्तमान शिक्षापद्धति और धार्मिक/आध्यात्मिक शिक्षा के अभाव के कारण हमारी आस्था कम होती जा रही है| कई विधर्मी धूर्ततापूर्वक मतांतरण द्वारा हमारी जड़ों पर प्रहार कर रहे हैं| वे स्वयं को मुक्तिदाता के प्रचारक बताकर गरीबों के गले में मानसिक दासता का फंदा डाल रहे हैं|
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इसका एकमात्र प्रतिकार यह है कि हम स्वयं अपने स्वधर्म का पालन करें और अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें| निज विवेक से उन धूर्तों के चक्कर में न आयें जिन्हें आध्यात्म का प्राथमिकी ज्ञान भी नहीं है| कुछ लोग विदेशों से भारत की कानून व्यवस्था को धार्मिक स्वतंत्रता का उत्पीडक बताते हुए इसके विरूद्ध अमेरिका से हस्तक्षेप की मांग भी करते रहे हैं|
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स्वधर्म का पालन ही हमें मुक्ति के मार्ग पर ले जा सकता है| भगवान् की खूब भक्ति करें और स्वधर्म पर दृढ़ रहें| शुभ कामनाएँ और नमन|
ॐ ॐ ॐ ||
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हमारी अस्मिता पर एक बहुत लम्बे समय से बड़े भयंकर मर्मान्तक प्रहार होते आ रहे हैं| साधू-संतों-भक्तों-वीर-वीरांगणाओं व सद् गृहस्थों के त्याग, संघर्ष और पुण्यों के प्रताप से हमारी अस्मिता अभी तक जीवित बची हुई है|
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वर्त्तमान में धर्मनिरपेक्षता, तथाकथित आधुनिकता, सहिष्णुता, वर्त्तमान शिक्षापद्धति और धार्मिक/आध्यात्मिक शिक्षा के अभाव के कारण हमारी आस्था कम होती जा रही है| कई विधर्मी धूर्ततापूर्वक मतांतरण द्वारा हमारी जड़ों पर प्रहार कर रहे हैं| वे स्वयं को मुक्तिदाता के प्रचारक बताकर गरीबों के गले में मानसिक दासता का फंदा डाल रहे हैं|
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इसका एकमात्र प्रतिकार यह है कि हम स्वयं अपने स्वधर्म का पालन करें और अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें| निज विवेक से उन धूर्तों के चक्कर में न आयें जिन्हें आध्यात्म का प्राथमिकी ज्ञान भी नहीं है| कुछ लोग विदेशों से भारत की कानून व्यवस्था को धार्मिक स्वतंत्रता का उत्पीडक बताते हुए इसके विरूद्ध अमेरिका से हस्तक्षेप की मांग भी करते रहे हैं|
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स्वधर्म का पालन ही हमें मुक्ति के मार्ग पर ले जा सकता है| भगवान् की खूब भक्ति करें और स्वधर्म पर दृढ़ रहें| शुभ कामनाएँ और नमन|
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जिस राष्ट्र की रणभूमि में भी ब्रह्मज्ञान (भगवद्गीता) का उपदेश दिया गया उस राष्ट्र का पुनरोभ्युदय और परम वैभव सुनिश्चित है|
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