Wednesday 18 January 2017

माया का सबसे बड़ा शस्त्र .....'प्रमाद' ..... यानि 'आलस्य' है .....

माया का सबसे बड़ा शस्त्र .....'प्रमाद' ..... यानि 'आलस्य' है .....
-----------------------------------------------------------------
ॐ नमो भगवते सनत्कुमाराय ......
भक्तिसुत्रों के आचार्य देवर्षि नारद के गुरु भगवान सनत्कुमार जो ब्रह्मविद्या के आचार्य भी हैं, के सनत्सुजातीय ग्रन्थ में लिखा है ..... "प्रमादो वै मृत्युमहं ब्रवीमि", अर्थात् प्रमाद ही मृत्यु है|
.
अपने " अच्युत स्वरूप " को भूलकर "च्युत" हो जाना ही प्रमाद है और इसी का नाम "मृत्यु" है| जहाँ अपने अच्युत भाव से च्युत हुए, बस वहीँ मृत्यु है|
.
दुर्गा सप्तशती में 'महिषासुर' --- प्रमाद --- यानि आलस्य रूपी तमोगुण का ही प्रतीक है|
आलस्य यानि प्रमाद को समर्पित होने का अर्थ है -- 'महिषासुर' को अपनी सत्ता सौंपना|
.
ओम् सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै |
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ||"
.
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभि र्व्यशेम देवहितं यदायुः
.
स्वस्ति न इन्द्रो वॄद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु
.
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते |
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ||
3 Comments

No comments:

Post a Comment