हम जहाँ भी हैं, जैसी भी स्थिति में हैं, चाहे किसी भी कारण से हैं,
उसके लिए किसी अन्य पर दोषारोपण करने से, उसे बुरा-भला कहने से, कोई लाभ
नहीं है| दूसरों पर ताने मारना, व्यंग्य करना, किसी को नीचा दिखाना, और
गाली देना भी निरर्थक है|
पूरी स्थिति की समीक्षा कर के, निज विवेक से उसका समाधान स्वयं से ही करना चाहिए| दूसरों से कोई अपेक्षा न करें|
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दूसरों का सर काट कर हम बड़े नहीं बन सकते| हमें स्वयं ही ऊपर उठना होगा| पर्वत शिखर से यदि तालाब में पानी आता है तो इसमें दोष पर्वत शिखर का नहीं है| हमें स्वयं को पर्वत शिखर बनना होगा|
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भौतिक, मानसिक, बौद्धिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक हर दृष्टी से स्वयं को परोपकार के लिए सशक्त बनना होगा| जीवन का केंद्रबिंदु परमात्मा को बनायें| हम परमात्मा के एक उपकरण मात्र बन जाएँ| फिर सब सही होगा|
पूरी स्थिति की समीक्षा कर के, निज विवेक से उसका समाधान स्वयं से ही करना चाहिए| दूसरों से कोई अपेक्षा न करें|
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दूसरों का सर काट कर हम बड़े नहीं बन सकते| हमें स्वयं ही ऊपर उठना होगा| पर्वत शिखर से यदि तालाब में पानी आता है तो इसमें दोष पर्वत शिखर का नहीं है| हमें स्वयं को पर्वत शिखर बनना होगा|
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भौतिक, मानसिक, बौद्धिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक हर दृष्टी से स्वयं को परोपकार के लिए सशक्त बनना होगा| जीवन का केंद्रबिंदु परमात्मा को बनायें| हम परमात्मा के एक उपकरण मात्र बन जाएँ| फिर सब सही होगा|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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