Monday, 19 December 2016

"धूजणी" छूट रही है ......

"धूजणी" छूट रही है ......
शीत लहर यानि ठंडी हवाओं से जब कंपकंपी सी होती है उसे राजस्थान की मारवाड़ी भाषा में "धूजणी" कहते हैं| ठिठुरन को कहीं कहीं "दाहो" भी कहते हैं| सर्दी का सबसे बड़ा आनंद यह कि इसमें गर्मी नहीं लगती| हम मनपसंद के खूब गर्म कपड़े पहिन सकते हैं, खूब अच्छा भोजन कर सकते हैं| इस हाड कंपा देने वाली ठण्ड का भी एक अलग आनंद है|
आप सब से एक प्रार्थना है .....
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आप के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी विद्यालय तो अवश्य ही होंगे| सरकारी विद्यालयों में गरीब बालक ही पढ़ते हैं जबकि प्रशिक्षित अध्यापक सरकारी विद्यालयों में ही होते हैं|
आपके आसपास के किसी ग्रामीण सरकारी विद्यालय में कोई गरीब बालक/बालिका हो जिनके माता-पिता उनके लिए ऊनी वस्त्र खरीदने में असमर्थ हो तो यह हमारा दायित्व बन जाता है कि हम बिना कोई अहसान दिखाए, उनके लिए गर्म वस्त्रों की व्यवस्था करें| गरीब बच्चों की पहिचान कर उनके लिए गर्म स्वेटर, टोपी और मोज़े व जूते अवश्य बाँटें|
यह एक अवसर दिया है भगवान ने हमें सेवा करने का, जिसका लाभ अवश्य उठायें| आपके आसपास कोई वंचित ना हो, इसका ध्यान रखें| आप नर के रूप में नारायण की ही सेवा कर रहे हैं|
ॐ ॐ ॐ ||

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