Monday 19 December 2016

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ....

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत-जात ते सिल पर पड़त निशान ........
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जब भी हम भगवान का चिंतन करते हैं, उस समय .....
(1) शरीर और मन में कोई तनाव नहीं रहे, सिर्फ एक सजगता रहे|
(2) महत्व गहराई का है न कि अवधि का| जितना हमारे ह्रदय में प्रेम होगा उतनी ही गहराई होगी|
(3) मन का भटकना स्वाभाविक है| इसका महत्त्व नहीं है| भटके हुए मन को बापस लाने का ही महत्व है|

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