Monday 12 September 2016

आतंकवाद ......

आतंकवाद .....
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आतंकवाद .... एक असत्य और अन्धकार की शक्ति है जो मनुष्य को अपनी वासनाओं और अहंकार की पूर्ती के लिए दिग्भ्रमित कर असत्य और अंधकार में ही उलझाए रखती है|
मनुष्य स्वयं तो असत्य और अन्धकार के आवरण में रहता ही है, पर अन्यों को भी उसी असत्य को सत्य व अन्धकार को प्रकाश मानने को निर्दयता से बलात् बाध्य करता है; यही आतंकवाद है|
इसके कारण मनुष्य के षड़ विकार --- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर्य हैं|
यह सृष्टि के आदिकाल से ही रहा है, कभी कम और कभी अधिक| इसका सबसे नकारात्मक पहलू तो यह है कि अपने मत की पुष्टि के लिए बीच में भगवान और धर्म को भी ले आते हैं| भगवान और धर्म का उपयोग मात्र एक अस्त्र के रूप में किया जाता है|
पिछले दो हज़ार वर्षों के इतिहास को देखो तो आतंकवाद के अनेक रूप रहे हैं|
हूण, शक, मंगोलों, क्रूसेडरों, जिहादियों आदि ने लूट खसोट और साम्राज्य विस्तार के लिए आतंक फैलाया| नाजियों, फासिस्टों, जापानियों व कम्युनिस्टों ने साम्राज्य विस्तार के लिए आतंक फैलाया| अब भी कुछ मतानुयायी अपने संख्या विस्तार के लिए आतंक का सहारा ले रहे हैं जो गलत है|
किसी भी प्रकार के आतंक का विरोध करना चाहिए| इसका समर्थन किसी भी परिस्थिति में ना हो|
पूरे विश्व को अपना परिवार मानकर और सभी के कल्याण की कामना ही आतंकवाद का सही उत्तर है| पर कोई किसी पर बलात् अत्याचार करे तो उसका प्रतिकार भी बलपूर्वक और पूर्ण साहस के साथ होना चाहिए| धन्यवाद |
ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
सितम्बर 13, 2014.

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