सच्चिदानंद रूप में स्थित हो जाना ही मोक्ष है ......
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वेदांत के दृष्टिकोण से अपने सच्चिदानंद रूप में स्थित हो जाना ही मोक्ष है| परब्रह्म ही जीव और जगत् के सभी रूपों में व्यक्त है| वही जीवरूप में भोक्ता है और वही जगत रूप में भोग्य है|
साभार: स्वामी मृगेंद्र सरस्वती
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वेदांत के दृष्टिकोण से अपने सच्चिदानंद रूप में स्थित हो जाना ही मोक्ष है| परब्रह्म ही जीव और जगत् के सभी रूपों में व्यक्त है| वही जीवरूप में भोक्ता है और वही जगत रूप में भोग्य है|
साभार: स्वामी मृगेंद्र सरस्वती
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