Wednesday, 8 October 2025

मैं श्वास क्यों लेता हूँ? ---

 मैं श्वास क्यों लेता हूँ?

मैं आनंदित हूँ, मेरी साँसें चल रही हैं, क्योंकि हरेक साँस के साथ मेरे प्रभु मुझे याद करते हैं। हरेक श्वास के साथ मेरे प्रभु मुझे अपने महासागर की गहनतम गहराई में ले जाते हैं। हरेक प्रश्वास के साथ प्रभु फिर मुझे बापस छोड़ देते हैं। यह महासागर ऊर्ध्व में है, जिसके अस्तित्व का और मार्ग का मुझे बोध है। वास्तव में भगवान स्वयं ही हमारे माध्यम से सांस लेते हैं।

जीवन का सारा भटकाव भगवान विष्णु के चरण कमलों में समर्पित करें। हमारा समर्पण वहीं आकर पूर्ण हो। उनके चरण-कमल प्रकाशमय हैं। उस प्रकाश में ही हम समर्पित हों। यह बड़ी से बड़ी बात है जिसकी कल्पना मैं कर सकता हूँ। इससे आगे कहने के लिए और कुछ भी नहीं है।


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