Saturday, 11 January 2025

लगता है यह सारा संसार मानसिक रोगियों से भरा पड़ा है ---

 लगता है यह सारा संसार मानसिक रोगियों से भरा पड़ा है। जो मानसिक रोगी नहीं होता उसे मानसिक रोगी बना दिया जाता है। हम सब असहाय हैं, कुछ नहीं कर सकते।

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भारत में ही नहीं पूरे विश्व में सबसे बड़ी मानसिक बीमारियाँ हैं --- "हिंसक ईर्ष्या, द्वेष, आसुरी मतांधता, अहंकार, लोभ, कामुकता, दूसरों को पीड़ा देना, नीचा दिखाना, अपमानित करना और क्रोध आदि"। इस संसार की जिन्होंने भी रचना की है वे स्वयं ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। मीठी मीठी मन को बहलाने वाली बातें तो बहुत हैं, लेकिन उनसे कोई लाभ नहीं है। चारों ओर बुराइयाँ और पागलपन भरा पड़ा है।
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हे भगवती, हम आपकी शरण में हैं। हमारी रक्षा करो।
भगवती महाकाली की आराधना हमारे अंतर के दुर्गुणों का नाश करती है। भगवती महालक्ष्मी सारे सद्गुण प्रदान करती हैं, और भगवती महासरस्वती हमें आत्मज्ञान प्रदान करती हैं। अन्य भी दैवीय शक्तियाँ हैं, जिनके पृथक पृथक कार्य हैं। अंततः सारी साधनाओं का समापन परमशिव में होता है। परमशिव एक अपरिभाष्य और अवर्णनीय अनुभूति है, जो प्रायः सभी उच्चतम स्तर के साधकों को होती है। उनकी उपासना से सभी उपासनाएँ हो जाती हैं। उनके ध्यान से सभी का ध्यान हो जाता है। वे ही पुरुषोत्तम हैं, और वे ही परमब्रह्म परमात्मा हैं।
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आज पौष माह का अंतिम शनिवार है, इसलिए एक उत्सव का सा माहौल है। प्रायः सभी मंदिरों में और घरों में पौष-बड़ा का कार्यक्रम हो रहा है। खूब भजन-कीर्तन होते हैं और बड़े का प्रसाद बनाकर ठाकुर जी को लगा कर बांटा जाता है। आजकल तो चीलें लुप्त ही हो गई हैं, पहले हम घर की छत पर खड़े होकर चीलों को आवाज देते और बड़े को आकाश की ओर उछाल देते। हवा की हवा में ही चीलें उन उछाले हुए बड़ों को अपने पंजों में दबोच लेती थीं। आकाश में जिधर भी देखो उधर चीलें ही चीलें, हजारों चीलें दिखाई देती थीं। आजकल एक भी चील और कौए दिखाई नहीं देते। कुत्तों को भी बड़े खिलाये जाते हैं।
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आज ११ जनवरी २०२५ को अयोध्या में बने राम मंदिर के उदघाटन की भी पहली वर्षगांठ है, अतः उत्सव दुगुना हो गया है। सभी को राम राम !! जय सियाराम !!
कृपा शंकर
११ जनवरी २०२५

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