Saturday, 11 January 2025

शब्दों में रस आना समाप्त हो गया है ---

 शब्दों में रस आना समाप्त हो गया है, भारत विजयी होगा, सत्य सनातन धर्म विजयी होगा। शब्द उन सीढ़ियों की तरह हैं जिनका उपयोग कर के हम छत पर चढ़ते हैं। एक बार छत पर पहुँचते ही सीढ़ियों की ओर देखने का मन नहीं करता। वैसे ही अब शब्दों में कोई रुचि नहीं रही है। बिना शब्दों के प्रयोग किये ही जब सच्चिदानंद की अनुभूति होने लगती है, तब उन्हें व्यक्त करने वाले शब्द किसी काम के नहीं रहते हैं। जो भी अवशिष्ट जिज्ञासा है, उसका समाधान साक्षात भगवान श्रीकृष्ण से करेंगे।

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आध्यात्म में महत्व स्वयं के "वह" बनने का है, कुछ पाने का नहीं। यहाँ तो समर्पित होकर स्वयं को खोना पड़ता है। जो पथिक कुछ पाना चाहते हैं, उनसे वह सब कुछ छीन लिया जाता है, जो कुछ भी उनके पास है। भगवान स्वयं ही पृथकता के भेद का स्वांग रचकर अपनी लीला में स्वयं को ढूँढ़ रहे हैं। यह भेद उनकी लीला है, कोई वास्तविकता नहीं। हमें तो समर्पित होकर उनके साथ एक होना है, कुछ पाना नहीं है।
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हम सब की आध्यात्मिक उपासना द्वारा सनातन धर्म विश्वव्यापी बनेगा, और अखंड भारत का निर्माण होगा। आसुरी शक्तियाँ -- सनातन धर्म और भारत को नष्ट करने का प्रयास सैंकड़ों वर्षों से कर रही हैं। लेकिन भारत की आध्यात्मिक शक्ति के कारण वे सफल नहीं हो पाई हैं। विजातीय अब्राहमिक व मार्क्सवाद जैसी अधर्मी विचारधारायें अभी भी भारत की अस्मिता पर मर्मांतक प्रहार कर रही हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगी। भारत विजयी होगा, सत्य सनातन धर्म विजयी होगा। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
११ जनवरी २०२५

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