फेसबुक व व्हाट्सएप्प पर तो मेरी पहुँच बहुत कम लोगों तक है। लेकिन परमात्मा के ध्यान में मैं उनकी सारी सृष्टि के साथ एक हूँ। मेरी कोई स्वतंत्र इच्छा नहीं है। मैं आप सब से पृथक नहीं, निरंतर आप सब के साथ एक हूँ। हम सब का जीवन राममय हो।
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यह पृथ्वी हमें पाकर सनाथ है। जहाँ भी हम हैं, वहीं भगवान हैं। देवता हमें देखकर तृप्त व आनंदित होते हैं। हम भगवान के साथ एक हैं। जहाँ देखो वहीं हमारे ठाकुर जी बिराजमान हैं। कोई अन्य है ही नहीं, मैं भी नहीं। जय हो!
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आध्यात्मिक रूप से यह सृष्टि प्रकाश और अन्धकार का खेल है, वैसे ही जैसे सिनेमा के पर्दे पर जो दृश्य दिखाई देते हैं वे प्रकाश और अन्धकार के खेल हैं। अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान हम उस प्रकाश में वृद्धि द्वारा ही कर सकते हैं। भगवान के प्रकाश में वृद्धि अपनी आध्यात्मिक उपासना और समर्पण द्वारा करें।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ जनवरी २०२५
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