(प्रश्न) : आजकल अधिकांश विवाह विफल क्यों हैं?
(उत्तर) : जो भी वैवाहिक सम्बन्ध -- त्वचा के रंग, चेहरे के कोण, धन-लालसा या अन्य किसी स्वार्थ से किये जाते हैं, उनका नारकीय होना निश्चित है। विवाह वो ही सफल हो सकता है, जहाँ पति-पत्नी का स्वभाव एक-दूसरे के प्रति अनुकूल और सम्मानजनक हो। पत्नी के लिए जहां पति परमेश्वर हो, वहीं पति के लिए पत्नी अन्नपूर्णा हो। ऐसे ही परिवारों में अच्छी आत्माएं जन्म लेती हैं।
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जब पुरुष का शुक्राणु और स्त्री का अंडाणु मिलते हैं, तब सूक्ष्म जगत में एक विस्फोट होता है, और जैसी उनकी भावस्थिति और सोच होती है, सूक्ष्म-जगत से वैसी ही आत्मा आकृष्ट होकर गर्भस्थ हो जाती है। प्राचीन भारत में लोगों को इस तथ्य का ज्ञान था, तभी भारत ने इतने महापुरुषों को जन्म दिया। गर्भाधान भी एक संस्कार है, जिसका ज्ञान लुप्तप्राय ही हो गया है। आजकल की अधिकांश मनुष्यता कामज-संतानों के कारण ही इतनी घटिया है।
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परमात्मा में भी श्रद्धा, विश्वास, और निष्ठा होना आवश्यक है। कोई सूर्योदय में विश्वास करता है या नहीं, सूर्योदय तो होगा ही। वैसे ही परमात्मा का अस्तित्व किसी के विश्वास/अविश्वास पर निर्भर नहीं हैं। परमात्मा अपरिभाष्य, एकमात्र सत्य और हमारा अस्तित्व हैं, जिनका बोध हुए बिना जीवन में हम अतृप्त रह जाते हैं। उन्हें जानने का प्रयास स्वयं को जानने का प्रयास है। हमारे निज जीवन में परमात्मा में आस्था का न होना भी वैवाहिक असफलताओं का एक कारण है।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ जनवरी २०२५
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पुनश्च: --- अगर भूल से भी कोई वामपंथी या नारी-स्वतन्त्रतावादी लड़की घर में बहु बनकर आ गयी तो उस घर का विनाश निश्चित है।
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