Monday, 28 February 2022

मेरे वश में कुछ भी नहीं है, जो करना है, वह आप स्वयं ही करो ---

मेरे वश में कुछ भी नहीं है, जो करना है, वह आप स्वयं ही करो। आपने बहुत सारे उपदेश दिये हैं जिनका पालन मेरी क्षमता से बाहर है --
त्रेगुण्य विषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्॥२:४५॥"
"योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥२:४८॥"
"दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते॥२:५६॥"
"एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति।
स्थित्वाऽस्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति॥२:७२॥"
"अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः॥८:१४॥"
"अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥९:२२॥"
"येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयाऽन्विताः।
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम्॥९:२३॥"
"मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी।
विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि॥१३:११॥"
"ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति।
समः सर्वेषु भूतेषु मद्भक्तिं लभते पराम्।।18.54।।
"भक्त्या मामभिजानाति यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः।
ततो मां तत्त्वतो ज्ञात्वा विशते तदनन्तरम्॥१८:५५॥"
"मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे॥१८:६५॥"
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आप तो मेरे हृदय में हैं और हृदय में ही रहेंगे। मुझे मतलब सिर्फ आपसे है, आपके उपदेशों से नहीं। मुझे तो यही समझ में आ रहा है --
"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥१८:६६॥"
मैं आपकी शरणागत हूँ। त्राहिमाम् त्राहिमाम् !! मेरी रक्षा करो।
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भगवान के सारे रूप एक उन्हीं के हैं। भगवान स्वयं ही पद्मासन में बैठे हैं, और स्वयं ही स्वयं का ध्यान कर रहे हैं; उनके सिवाय कोई अन्य है ही नहीं। भगवती के विभिन्न रूपों में जिनकी आराधना हम करते हैं, वे सारे रूप भी उन्हीं के हैं। वे ही ज्योतिर्मय ब्रह्म हैं, वे ही परमशिव हैं, वे ही विष्णु और वे ही नारायण हैं।

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साधना करने, व साधक होने का भाव एक भ्रम मात्र ही है। भगवान स्वयं ही स्वयं की साधना करते हैं। हम तो उनके एक उपकरण, माध्यम और निमित्त मात्र हैं। कर्ता तो वे स्वयं हैं। उनकी यह चेतना सदा बनी रहे।
ॐ तत्सत् !! 🌹🕉🕉🕉🌹
कृपा शंकर
२१ फरवरी २०२२

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