Monday 28 February 2022

जिन को निर्विकल्प समाधि (कैवल्य) की उपलब्धि हो गई है, वे सशरीर ब्रह्मस्वरूप हैं ---

 जिन को निर्विकल्प समाधि (कैवल्य) की उपलब्धि हो गई है, वे सशरीर ब्रह्मस्वरूप हैं। निर्विकल्प समाधि में यदि इस शरीर की मृत्यु हो जाये तो उस दिव्यात्मा का जन्म हिरण्यलोकों में होता है, जहाँ किसी भी तरह के अज्ञान का अंधकार नहीं होता।

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गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताई हुई स्थितप्रज्ञता की स्थिति जिन्होंने प्राप्त कर ली है, वे जीवनमुक्त महात्मा हैं।
"दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते॥२:५६॥"
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ध्यान साधना में जब विस्तार की अनुभूति होने लगे, और अनंताकाश से भी परे ज्योतिर्मय ब्रह्म के दर्शन होने लगे तब पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। भगवान स्वयं ही किसी न किसी माध्यम से मार्गदर्शन कर देंगे। वे ज्योतिर्मय ब्रह्म ही परमशिव हैं, ऐसी मेरी सोच है। हो सकता है वे ज्योतिर्मय ब्रह्म से भी परे हों। अभी तो वे ही मेरे उपास्य देव हैं।
ॐ तत्सत्
२३ फरवरी २०२२

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